بدھ، 19 اپریل، 2023

अघौर बाला गायह मंत्रत्र

अघोर बाला गायत्री मंत्र

सतनमो आदेश।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी सोने की इंद्री रुपे की धार।धरती माई आपको कोटि कोटि नमस्कार।धर्म की धोती अलील का प्याला।अजरी वजरी चेते गुरु गोरक्षनाथ बाला।धरती की डिब्बी।शक्ति ने बाली।ब्रम्हा विष्णु महेश ने लकड़ी डाली।शिव ने रान्धी।शक्ति ने खाई।अन्नपूर्णा महामाई।हाथ खड़्ग खप्पर गले मुण्डमाला।शिव शक्ति जपो तपो श्री त्रिपुर सुंदरी बाला।ॐ अमरी बांधे अमरी बज्जरी बांधे काया।हाथ जोड़ हनुमन्त खड़ा।बांध ल्याऊं शरीर सारा।नोमण सार भस्म कर डाला।सोने की सुराही रुपे का प्याला।भर भर पियें काल भैरव मतवाला।भजो भजो अलील पुरुष भजो।अनादि फुरो।ऋद्ध फुरो।सिद्ध अलील भजो।अलील पुरुष की चरण कमल पादुका को नमस्कार।ॐ आदि अलील पुरुष की माया।जपो अघोर बाला गायत्री मंत्र अमर रहे काया।अघोर अघोर महा अघोर।ब्रम्हा जी का वचन अघोर।विष्णु जी का शेषनाग अघोर।।महादेव जी की जटा अघोर।हनुमान जी की गदा अघोर।युधिष्ठिर का धर्म अघोर।कामाक्षा देवी का रज अघोर।मेरी वज्जर की काया।जुगति सो मुक्ति।आवें सो जावें।सिद्ध होय वहाँ काल न आवें।कहे लक्ष्मण जति सुनो राजा रामचन्द्र जी श्री अघोर बाला गायत्री मंत्र नित जपे तपे।बारह कोस काल निकट नहिं आवें।ॐ अघोर बाला विदमहे अन्नपूर्णा देवी धीमहि तन्नो अघोर बालाय प्रचोदयात।इतना अघोर बाला गायत्री मंत्र जाप सम्पूर्ण भया।गोरक्ष टिल्ले शिवपुरी धाम पर सिद्धासन बैठ लक्ष्मण जति ने राजा रामचन्द्र जी को पढ़ कथ कर सुनाया।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश

काशी कौतवाल काल भैरव मंत्र

काल भैरव मन्त्र

सतनमो आदेश।श्रीनाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी काशी कोतवाल काल भैरव काली रात।तोय सुमरुं आधी रात।कानों मुन्दरा हाथ खड़्ग।काला पहिने चोला काली बाँधे ढाल।काली ओढ़े कांचली नृत्य करें मढ़ी मसान।काल भैरव मार।काल भैरव त्यार।काल भैरव डाकिनी की छाती तोड़।काल भैरव का प्रेतराज का सिर फोड़।काल भैरव जिन्द की भुजा मरोड़।काल भैरव चुड़ैल की कमर निचोड़।काल भैरव मार मार भस्मन्त करें।गुरु गोरक्ष नाथ की दुहाई फिरती रहे।गौरी नन्द गणेश,अंजनी सुत हनुमान,काली पुत्र काल पिण्ड प्राण की आठों प्रहर रक्षा करें।जो इस हँसा ऊपर अस्त्र शस्त्र चलायें।पलट काल भैरव उसी को खायें।काल भैरव जल बाँधे थल बाँधे।आर्या आसमान बाँधे।जादू टोना बाँधे।मढ़ी मसाण बाँधे।कब्र कब्रिस्तान बाँधे।दुष्ट मुष्ट को बाँधे।बाँध बाँध।जल्दी बाँध।रोम रोम में बाँध।बाल बाल में बाँध।चाम चाम में बाँध।हाड़ हाड़ में बाँध।नख सिर में बाँध।कपाल चोटी में बाँध।घट पिण्ड में बाँध।नवनाड़ी बहत्तर कोठा में बाँध।बाँध बाँध कर मढ़ी मसाण में ले जावें।मढ़ी मसाण में ले जाकर ठिकरें के खप्पर में जलावें।बाँध कर नहीं जलावें।तो माता कालिका देवी का पीया दूध हराम कर जावें।चल चल काशी कोतवाल काल भैरव पूजा लौंग बतासा श्रीफल की देउँ मद की धार।भरी सभा में धूं आने में कहाँ लगाई इतनी बार।खप्पर में खाये मसाण में लौटे।ऐसे काल भैरव की पूजा कौन मेटें।राजा मेंटे राज पाट से जाये।प्रजा मेंटे दूध पूत से जाये।जोगी मेंटे ध्यान पाठ से जाये।इतना काशी कोतवाल काल भैरव मन्त्र जाप सम्पूर्ण भया।शून्य की गादी बैठ राजा भृतहरि नाथ जी ने आपो आप सुनाया।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश।