ہفتہ، 28 اکتوبر، 2023

सर्वकामनासिद्धि स्तोत्रम्

सर्वकामनासिद्धि स्तोत्रम्

श्री हिरण्यमयी हस्तिवाहिनी, संपत्तिशक्तिदायिनी ।

मोक्षमुक्तिप्रदायिनी सद्बुद्धिशक्तिदात्रिणी || १॥ सन्ततिसम्वृद्धिदायिनी शुभशिष्यवृन्दप्रदायिनी | नवरत्ना नारायणी भगवती भद्रकारिणी || २ || धर्मन्यायनीतिदा विद्याकलाकौशल्यदा | प्रेमभक्तिवरसेवाप्रदा राजद्वारयशविजयदा || ३

धनद्रव्य अन्नवस्त्रदा प्रकृति पद्मा कीर्तिदा | सुखभोगवैभवशान्तिदा साहित्यसौरभदायिका ॥ ४ ॥

वंशवेलिवृद्धिका कुलकुटुम्बापौरुषप्रचारिका

स्वज्ञातिप्रतिष्ठाप्रसारिका
स्वजातिप्रसिद्धिप्राप्तिका || ५ ||

भव्य भाग्योदयकारिका रम्यदेशोदयउद्भाषिका |

सर्वकार्यसिद्धिकारिका भूतप्रेतबाधावाशिका ||अनाथ अधमोमोद्धारिका पतितपावनकारिका |

मनवाञ्छितफलदायिका सर्वनरनारीमोहनेच्छापूर्णिका || ७ || साधनज्ञानसंरक्षिका मुमुक्षुभावसमर्थिका । जिज्ञासुजनज्योतिर्धरा सुपात्रमानसम्वर्द्धिका || ८ ॥ अक्षरज्ञानसङ्गतिका स्वात्मज्ञानसन्तुष्टिका | पुरुषार्थप्रताप अर्पिता पराक्रमप्रभावसमर्पिता ||

९॥ स्वावलम्बनवृत्तिवृद्धिका स्वाश्रयप्रवृत्तिपुष्टिका | प्रतिस्पर्द्धशत्रुनाशिका सर्वऐक्यमार्गप्रकाशिका || 30 ||

जाज्वल्यजीवनज्योतिदा षड्रिपुदलसंहारिका | भवसिन्धुभयविदारिका संसारनाव सुकानिका ||

११||

चौरनामस्थानदर्शिका रोग औषाधीप्रदर्शिका | इच्छितवस्तुप्राप्तिका उरअभिलाषापूर्णिका || १२

|| श्री देवी मङ्गला गुरुदेवशापनिर्मूलिका | आद्यशक्ति इन्दिरा ऋद्धिसिद्धिदा रमा || १३ || सिन्धुसुता विष्णुप्रिया पूर्वजन्मपापविमोचना | दुःखदैन्यविध्नविमोचना नवग्रहदोषनिवारणा |ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं श्रीसर्वकामनासिद्धि महायन्त्रदेवतास्वरुपिणी श्रीमहामाया महादेवी महाशक्ति महालक्ष्म्यै नमो नमः । ॐ ह्रीं श्रीपरब्रह्म परमेश्वरी । भाग्यविधाता भाग्योदय कर्त्ता भाग्यलेखा भगवती भाग्येश्वरी ॐ ह्रीं । कुतूहलदर्शक, पूर्वजन्मदर्शक, भूतवर्तमान भविष्यदर्शक, पुनर्जन्मदर्शक, त्रिकालज्ञानप्रदर्शक, दैवीज्योतिष महाविद्याभाषिणी त्रिपुरेश्वरी | अद्भुत, अपूर्व, अलौकिक, अनुपम, अद्वितिय, सामुद्रिकविज्ञान रहस्यरागिनी, श्रीसिद्धिदायिनी | सर्वोपरिसर्वकौतुकानि दर्शय दर्शय, हृदयेच्छित सर्वइच्छा पूरयपूरय, ॐ स्वाहा ॐ नमो नारायणी नवदुर्गेश्वरी | कमला, कमलशायिनी, कर्णस्वरदायिनी, कर्णेश्वरी, अगम्य अदृश्य अगोचर अकल्प्य अमोघ अधारे, सत्यवादिनी, आकर्षणमुखी, अवनी आकर्षिणी,

मोहनमुखी, महिमोहिनी, वश्यमुखी, विश्ववशीकरणी, राजमुखी, जगजादुगरणी, सर्वनरनारीमोहनवश्यकारिणी, मम करणे अवतरअवतर, नग्नसत्य कथय कथय | अतीत अनाम वर्तनम् | मातृ मम नयने दर्शन | ॐ नमो श्रीकरणेश्वरी देवी सुरा शक्तिदायिनी | मम सर्वेप्सित सर्वकार्यसिद्धि कुरु कुरु स्वाहा |

ॐ श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं श्रीमहामाया महाशक्ति महालक्ष्मी महादेव्यै विच्चेविच्चे श्रीमहादेवी महालक्ष्मी महामाया महाशक्त्यै क्लीं ह्रीं ऐं श्रींS

ॐ श्री पारिजातपुष्पगुच्छधारिण्यै नमः | ॐ श्री ऐरावतहस्तिवाहिन्यै नमः |

ॐ श्री कल्पवृक्षफलभक्षिण्यै नमः |

ॐ ॐ श्रीकामदुर्गा पयःपानकारिण्यै नमः |

ॐ श्री नन्दनवनविलासिन्यै नमः |

ॐ श्री सुरगंगाजलविहारिण्यै नमः | ॐ श्री मन्दारसुमनहारशोभिन्यै नमः |

ॐ श्री देवराजहंसलालिन्यै नमः |

ॐ श्री अष्टदलकमलयन्त्ररूपिण्यै नमः | ॐ श्री वसंतविहारिण्यै नमः |

ॐ श्री सुमनसरोजनिवासिन्यै नमः |

ॐ श्री कुसुमकुञ्ज भोगिन्यै नमः |

ॐ श्री पुष्पपुञ्जवासिन्यै नमः | ॐ श्री रतिरूपवरगंजनायै नमः |

ॐ श्री त्रिलोकपालिन्यै नमः |

ॐ श्री स्वर्गमृत्युपातालभुमिराजकर्यै नमः |ॐ श्री लक्ष्मीयन्त्रेभ्यो नमः | ॐ श्रीशक्तियंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीदेवीयन्त्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीरसेश्वरीयंत्रेभ्यो नमः | ॐ श्रीऋद्धियंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीसिद्धियंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीकीर्तिदायंत्रेभ्यो नमः | ॐ श्रीप्रीतिदायंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीइन्दिरायंत्रेभ्यो नमः | ॐ श्रीकमलायंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीहिरण्यवर्णयंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीरत्नगर्भायंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीसुवर्णयंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीसुप्रभायंत्रेभ्यो नमः | ॐ श्रीपङ्कनीयंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीराधिकायंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीपद्मयंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीरमायंत्रेभ्यो नमः | ॐ श्रीलज्जायंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीजयायंत्रेभ्यो नमः | ॐ श्रीपोषिणीयंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीसरोजिनीयंत्रेभ्यो नमः |ॐ श्रीहस्तिवाहिनीयंत्रेभ्यो नमः ।

ॐ श्रीगरुड़वाहिनीयंत्रेभ्यो नमः

ॐ श्रीसिंहासनयंत्रेभ्यो नमः | ॐ श्रीकमलासनयंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीरुष्टिणीयंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीपुष्टिणीयंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्री तुष्टिनीयंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीवृद्धिनीयंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीपालिनीयंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीपोषिणीयंत्रेभ्यो नमः | ॐ श्रीरक्षिणीयंत्रेभ्यो नमः |

ॐ श्रीवैष्णवीयंत्रेभ्यो नमः |

श्री मानवेष्टाभ्यो नमः | श्री सुरेराष्टाभ्यो नमः |

श्रीकुबेराष्टाभ्यो नमः |

श्रीत्रिलोकाष्टाभ्यो नमः | श्रीमोक्षयंत्रेभ्यो नमः |

श्रीभुक्तियंत्रेभ्यो नमः |

श्रीकल्याणयंत्रेभ्यो नमः |

श्रीनवार्णयंत्रेभ्यो नमः |

श्री अक्षस्थानयंत्रेभ्यो नमः |

श्रीसरस्थानयंत्रेभ्यो नमः |

श्रीप्रज्ञावतीयंत्रेभ्यो नमः |

श्रीपद्मावतीयंत्रेभ्यो नमः |श्रीशङ्खचक्रगदापद्मधरायंत्रेभ्यो नमः | श्रीमहालक्ष्मीयंत्रेभ्यो नमः | श्री लक्ष्मीनारायणयंत्रेभ्यो नमः | ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं श्रीमहामायादेवी महाशक्ति महालक्ष्मीस्वरूपा श्री सर्वकामनासिद्धि महायन्त्रदेवताभ्यो नमः | ॐ विष्णुपत्नीं क्षमादेवीं माध्वीं च माधव प्रिया | लक्ष्मीं प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम् || ॐ महालक्ष्मी च विद्महे विष्णुपत्नि च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ||

मम सर्वकार्यसिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ||

|| सर्वकामना सिद्धि स्तोत्र संपूर्ण ||

विधी---अथ सर्वकामनासिद्धि स्तोत्रम्


इस प्रयोग से सर्वारिष्ट दूर होकर मङ्गल कार्य सिद्ध होते हैं ।


शुभाशुभ प्रश्न का उत्तर, भूत भविष्य का ज्ञान भी प्राप्त होता है । अष्टदल कमल में देवी का आवाहन करें । नित्य प्रति ११ पाठ कर धुत्रय से होम करें |

جمعرات، 12 اکتوبر، 2023

गणेश कूंची


श्री नाथ जी के भण्डार में प्रयुक्त किये जाने वाले मंत्र

गणेश कूंची

सत नमो आदेश गुरु जी को आदेश ! आदेश! ॐ गुरु जी! गणेश आया ऋद्धि सिद्धि लाया। ऋद्धि सिद्धि का भरे भण्डार ।। देह कूंची हिंगलाज की ज्ञान कूंची ग्रहों की कंठ कूची गोरक्षनाथ जी की ।। लागी कूंची खुले कपाट अब देखो ब्रह्माण्ड का ठाठ, अक्षय नाथ जी का भरे भण्डार ।। अनन्त अनन्त कोटि सिद्धों में खीर खाण्ड का होवे प्रवान।। लावो भण्डार धरो ध्यान, आगच्छ आगच्छ श्री नाथ जी गुरु जी आदेश! आदेश!

श्री गणेश कूंची मंत्र

ॐ गुरु जी! गणेश आया. ऋद्धि सिद्धि लाया। ऋद्धि सिद्धि का भरो भंडार ।। पीर पैगम्बर औलिया आदेश उतारा शिखर कोट के उपर आप विराजो दर्शन दीजी माँ हिंगलाज 1 अनभे कूंची अनमे ध्यान, लागी कूंची खुला कपाट दुखीया भरे मूंज का ठाठ ।। जपता जाप कटता पाप, अलष निरंजन आपो आप गणेश कूंची मंत्र सम्पूर्ण भया । गादी बैठकर गुरु गोरक्षनाथ जी ने कहा सिद्धो गुरुवरो योगेश्वरो आदेश! आदेश!

कुबेर भण्डार गायत्री

सत नमो आदेश गुरु जी को आदेश ! आदेश! ॐ गुरु जी ! ॐ सोहं आकाश डिब्बी पाताल का ठीया धर्ती का चूल्हा करूं, आकाश का ठीया ।। T नवनाथ चौरासी सिद्धों ने बैठकर भण्डार का मता किया।। चढ़े डिब्बी उतरे ऋद्धि-सिद्धि काली पीली शिर जटा भाई पार्वती का उपदेश, शिव मुख जाये।

हाथ खड़ग तत की माला, जाप जपे श्री सुरिया बाला । ऋद्धि पूरे माई अन्न पूर्णा, घृत पूरे गणेश अलील पूरे ब्रह्मा, माया पूरे महाकाली। हीरा पूरे हिंगलाज नवखण्ड में जोत जगाई।

ऋद्धि लावो भण्डारी नाई। ऋद्धि खुटे सदाशिव की जटा टूटे ।। ऋद्धि खूटे, माता सीता सतवन्ती का सत्य छूटे

ऋद्धि खूटे माता पार्वती का कंगन टूटे। ऋद्धि खुटे मान थान का मान टूटे ।। चन्द सूर्य दो भरें साखी इतना कुबेर गायत्री जाप सम्पूर्ण भया । श्री नाथ जी गुरु जी आदेश! आदेश!

सूर्य मंत्र

सूर्य मंत्र

ॐ सत नमो आदेश गुरु जी को आदेश ! आदेश! ॐ गुरु जी ! ॐ ऊगंत सूर, बाजंत तूर. बरसंत सूर काल कण्टक जाहि दूर । हाथ खंग गले पुष्प माला, नौ खण्ड पृथ्वी भया उज्याला । त्रिकाल देवता सूरज स्वरूपी, प्रभाते ब्रह्म स्वरूपी मध्याहे विष्णु स्वरूपी, सन्ध्याहे शिव स्वरूपी, एता सूर्य जाप जपन्ते, अष्ट सिद्धिनव निधि फलंते। ऊँकार, जै जै कार, सूर्य देवता को नमस्कार ।लक्ष्मण कुंडली

सिद्धो! देखो कलू काल की निशानी। अग्नि रूपी समोनारी, घृतरूप समो नरः । कथ्यते लक्ष्मण जतीः ।।

ॐ गुरु जी सत्त हीन पृथ्वी, गगन हीन पानी, वेद हीन ब्रह्मा ज्ञान हीन योगी । माता जाकी लष्टम पस्टम, पिता वर्ण संकरा तासु पुत्र भये योगी धुन्धुपाधी तस्करा, मस्करा । माता जाकी सतवन्ती (सीलवन्ती) पिता सत सत भाषते । तासु पुत्र भये योगी, योगारम्भ को साधन्ते अष्टोत्तर कुल तारन्ते ।। पाप छोड़ पुण्य लगन्ते । कहो तो गुरु जी धरती पलटू कहो तो पलटू काया। कहो तो गुरु जी दीन पलटू कहो तो खँ माया ।। काहे को लक्ष्मण दीन पलटो, काहे को खींचो माया। आपो आप धुन्धु (द्वन्द मचेगा, हुकम गुरु का आया।।



दर्शनी तो कर्षनी होंगे, राजे होंगे हाली। जती सती कोई विरला होगा, हो जाएँगे सब घर बारी ।। पहरा आएगा शाह का, धरती मांगेगी भोग कितनों को षड्ग संहारसी कितनों को व्यापे रोग ।। पैसे पैसे में घोड़ा होगा, धेले धेले नारी। जती सती कोई बिरला रहेगा, और सब हो जायेंगे घर बारी।।

देवल देख के देव धसेगा, मस्जिद देख मुनारा जम्बू द्वीप में हलचल मचेगी कोई न होगा सिद्धो वर्जनहारा ।। तपस्वी तो हाट, मांगेगा, सुद्र तो एकादशी रखेंगे।

ब्राह्मण तो बाट मांगेंगे, गुरु चेले का प्रायश्चित लगेगा ।।

पुत्र न माने माई ना बाप । सात वर्ष की कन्या साधेगी घरबार ।। इन्द्र तो अलप बरसेंगे, संसार तो निष्फल फलेगा, नदी नालों का जल सूख जायेगा ।। गंगा यमुना सातवें पाताल में बहेगी, तब सिद्धो आया कलूकाल का वर्तमान ।

दिल्ली तख्त का झंडा झाड़ फाड़ कर बिछायेंगी, चौसठ योगिनी बैठकर मंगल गीत गावेंगी।।

श्वेत घोड़ा श्वेत पलाण, जिस पर बैठे अलष पुरुष निर्वाण पहले बैठी बामना, पीछे बैठी बीणजपुत्र जगत व्योवहार, जोगी कूड़ा कामनियाँ ।। हम तो सिद्धो तत्व निर्वाणी, अधर तत्त लौ लाई!

नित्त उठ अपनी काया को खोजो, आवागवन मिट जाई ।। सत् की सिद्धो सेली बांधलो, सब्द गुरु का वाचा, रण में झुंझे सो सूरमा जान । असंख जो जोगी रहे मलंगा, खड़ग कामिनी खेले संगा।। हंस हंस रखो काया गढ़ का राज, दृढ़कर राखो अपने पास। बज्र की लंगोटी बांधो कसकर पांच भूत आतमा करलो वश ।। लक्ष्मण जी कहे राम चन्द्र जी सुन लो !

कलयुग मध्ये वृत्तान्त सम्पूर्ण, लक्ष्मण कुंडली जाप सम्पूरण भया ।। टिल्ला शिवपुरी स्थान पर बैठकर सिद्ध बाल गुंदाई जी ने कथ पढ़कर सुनाया। श्री नाथ जी गुरु जी आदेश! ओदश !

منگل، 10 اکتوبر، 2023

Mooth Manter

मूठ मन्त्र


ॐ नमो वीर तो हनुमंत वीर सूर्य का तेज, शत्रु की काया । अदीठ चक्र देवी कालिका चलाया। चल रे बादी न कर। बाद में करि हों तेरे जीव का घात में न उरूं तेरे गुरु पीर सूं। मारूं ताने एक तीर सूं। मेरा मारा ऐसा घूमै । जैसा भुजंग की लहर परै तोहि गिरता मारूं बाण। फेरि चलो तो यही हनुमान की आन शब्द सांचा पिण्ड कांचा फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा

mooth


शनिवार की अर्द्धरात्रि में इस मन्त्र के जप का अनुष्ठान किया जाता है। साधक को श्मशान में जाकर अथवा किसी निर्जन स्थान पर बैठकर एकाग्र भाव से हनुमानजी का ध्यान लगाकर जप करना होता है। इसकी सिद्धि के लिये ९० दिनों तक प्रत्येक दिन १०८ मन्त्र का जप किया जाता है। मन्त्र सिद्ध हो जाने के पश्चात् शनिवार को दाहिने हाथ में उड़द लेकर उपरोक्त मन्त्र से २१ बार अभिमन्त्रित करके दुश्मन के ऊपर मारने से वह पछाड़ खाकर गिर जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। इसका प्रयोग वर्जित है।