منگل، 26 مارچ، 2024

हमजाद सिद्ध करने का मंत्र

हमजाद सिद्ध करने का मंत्र

"आगम निगम की खबर लगावे सोऽहं पारब्रह्म को नमस्कार।"


इस मंत्र को चालीस दिनों तक प्रतिदिन 25000 दफा जाप करने से हमजाद सिद्ध हो जाता है। इस सिद्धि को प्राप्त कर लेने के पश्चात् साधक एक स्थान पर बैठे- बैठे ही दूर देशों तक का हाल पता कर सकता है।


हाजरात का सिद्धि मंत्र


"काला भेरूं काला काल काला भेज्या चारों धाम काल्या काला कहाँ गया भेंने भेज्या वहाँ गया कौन को दिखाए भगे भगाए को रूठे रुठाय को धरती में दबे धन माल को देव दानव को चोर चौपाए को जहाँ के तहाँ को न बताए तो माता कालिका के खप्पर में जरे मेरी भक्ति गुरू की शक्ति।"


इस प्रयोग में बालक/बालिका ही का भी प्रयोग किया जा सकता। इस विशेष काजल को हथेली में वृत्ताकर एक रुपये के सिक्के के बराबर गोलाई में लगाया जा सकता है अथवा नाखून पर भी लगाया जा सकता है। आरम्भ में कज्जल वृत्त में प्रकाश की किरणें फूटती हैं फिर नाग के दर्शन होते हैं। नाग को प्रणाम कर उससे अपना मनोरथ कहना चाहिए। इसके पश्चात् नाग चलता हुआ या उड़ता हुआ चाहे गए स्थान तक जाकर सम्बन्धित बात को दिखाएगा। इस प्रयोग से गुप्त निधि, खोए की तलाश आदि को ज्ञात किया जा सकता है। इस 'हाजरात काजल' को प्राप्त करने के लिए आप हमारे केंद्र से सम्पर्क कर सकते हैं।

हाजरात सिद्धि के लिए कालिका सिद्ध


|| मन्त्र ॥

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं हाजरात-सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ।।


॥ विधि ॥

इस मंत्र का मंगलवार से जप आरम्भ कर 21 दिन में 21000 बार जप विधि-विधान सहित करें, फिर इस मंत्र का दशांश हवन चमेली के फूल और कपूर मिला कर करें तो यह मन्त्र सिद्ध होगा।


फिर पूर्व में वर्णित हाजरात की ही विधि से बालक द्वारा प्रश्न पूछ लें।

हजरात बंगाली कालिका सिद्ध


॥ मन्त्र ॥

ॐ काली माता। काली माता।


ओतो ते ॥


॥ विधि ॥

इस मंत्र का 21 दिन में इक्कीस हजार जप विधि-विधान सहित करने से यह मन्त्र सिद्ध होगा। फिर कपूर का काजल बनाकर उसमें कुछ बूँदे चमेली के सुगंधित तेल की डाल कर उस काजल को सम्भाल कर रखें, आवश्यकता के समय जिस दिन आकाश साफ हो तो सुबह आठ बजे से पहले किसी 11 वर्ष के बच्चे को आसन पर बिठा कर, इस मंत्र से गुड़ 21 बार अभिमंत्रित कर उसे खिलायें, फिर उसके दाहिने हाथ के अंगूठे पर काजल वाली स्याही लगा दें और बच्चे को उस काजल को ध्यान से देखने को कहें, जब लड़का उस अंगूठे पर ध्यान एकाग्रचित करेगा तो उसे एक मैदान दिखाई देगा उसमें कुछ आकृतियां दिखाई देंगी। तब लड़का कहे कि भंगी हाजिर हो तो अंगूठे वाले मैदान में भंगी आ जायेगा, तो लड़का उसे झाड़ लगाने को कहे, जब झाडू लगाकर खड़ा हो जाये तो लड़का कहे भंगी साब आप जाये और पानी छिड़काव करने वालों को भेजें, जब पानी छिड़काव करने वाला आ कर खड़ा हो जाये तो उसे लड़का पानी छिड़कने को कहे जब वह पानी छिड़ककर खड़ा हो जाय तो उसे लड़का आदेश करे कि आप जायें और फर्श लगाने वाले को भेजें। जब फर्श लगाने वाला आकर फर्श लगादे और सिंहासन स्थापित कर दे तो उसे कहे आप जाए और मुंशी जी या पण्डित जी को बुलायें। जब वह मुंशी जी को साथ लेकर पधारें तो बालक उसने निवेदन करे कि मैं कुछ प्रश्न पूछना चाहता हूँ क्या उप इसके लिए तैयार हैं ? तो वह जब हाँ में सिर हिलाए तो लड़का मुंशी को कहे कि माँ कालिका जी को आदर सहित सिंहासन पर लाए। जब माँ कालिका सिंहासन पर बिराजे तो लड़का माँ कालिका को 11 रुपये फल-फूल, मिठाई, अगरबत्ती से उनकी पूजा कर, जो प्रश्न मुंशी जी से पूछना चाहे पूछे। मुंशी जी माँ कालिका से उत्तर पूछ कर बालक को हाँ या ना में जवाब देंगे या बालक मुंशी जी से निवेदन करेगा कि मुझे इस भाषा में लिखकर उत्तर दो तो मुंशी स्लेट पर लिखकर भी उत्तर देगा। प्रश्नों का उत्तर प्राप्त करने के बाद माँ कालिका की सवारी को वापिस जाने का निवेदन करें। इस प्रयोग से साधक हर प्रकार के प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर सकता है। इस प्रयोग को सिद्ध करने वाला साधक कभी किसी से रुपया- पैसा न ले तथा गुरु से दीक्षा प्राप्त कर इस सिद्धि को सम्पन्न करें।


جمعرات، 7 مارچ، 2024

सुख-समृद्धि दायक कालिका

सुख-समृद्धि दायक कालिका

|| मन्त्र ||

ॐ नमो आदेश गुरु को। सात भवानी कालिका ॥ बारह वर्ष कुमार। एक माई परमेश्वरी ।। चौदह भुवन द्वार। दो पक्ष निर्मली ॥ तेरह देवी-देव। अष्ट भुजी परमेश्वरी ।। ग्यारह रुद्रकर सेव । सोलह कला सम्पूर्णा ॥ तीन नयन भरपूर । दश अवतारी ॥ पाँच देव रक्षा करें। नव नाथा-चौरासी सिद्ध ॥ षट्-दर्शन पाइए । पन्द्रह तिथि जान ॥ चार वेद वखानिए। काली कर कल्याण ॥


॥ विधि ॥ इस मन्त्र का जो साधक नित्य सच्चे मन से माँ कालिका का ध्यान कर जप करता है वह संसार के सम्पूर्ण सुख प्राप्त करता है। उसको जीवन में किसी तरह का अभाव नहीं रहता है।


इस मन्त्र में महा कालिका के चौंतीस के यन्त्र की सम्पूर्ण विधि समाई हुई है इस लिए इस मन्त्र का जप कर झाड़ा करने से भूत-प्रेतादि दौषों का निवारण होता है।

हजरात बंगाली कालिका सिद्ध

हजरात बंगाली कालिका सिद्ध

॥ मन्त्र ॥

ॐ काली माता। काली माता । ओतो ते ॥

॥ विधि ॥

इस मंत्र का 21 दिन में इक्कीस हजार जप विधि-विधान सहित करने से यह मन्त्र सिद्ध होगा। फिर कपूर का काजल बनाकर उसमें कुछ बूंदे चमेली के सुगंधित तेल की डाल कर उस काजल को सम्भाल कर रखें, आवश्यकता के समय जिस दिन आकाश साफ हो तो सुबह आठ बजे से पहले किसी 11 वर्ष के बच्चे को आसन पर बिठा कर, इस मंत्र से गुड़ 21 बार अभिमंत्रित कर उसे खिलायें, फिर उसके दाहिने हाथ के अंगूठे पर काजल वाली स्याही लगा दें और बच्चे को उस काजल को ध्यान से देखने को कहें, जब लड़का उस अंगूठे पर ध्यान एकाग्रचित करेगा तो उसे एक मैदान दिखाई देगा उसमें कुछ आकृतियां दिखाई देंगी। तब लड़का कहे कि भंगी हाजिर हो तो अंगूठे वाले मैदान में भंगी आ जायेगा, तो लड़का उसे झाड़ लगाने को कहे, जब झाडू लगाकर खड़ा हो जाये तो लड़का कहे भंगी साब आप जाये और पानी छिड़काव करने वालों को भेजें, जब पानी छिड़काव करने वाला आ कर खड़ा हो जाये तो उसे लड़का पानी छिड़कने को कहे जब वह पानी छिड़ककर खड़ा हो जाय तो उसे लड़का आदेश करे कि आप जायें और फर्श लगाने वाले को भेजें। जब फर्श लगाने वाला आकर फर्श लगादे और सिंहासन स्थापित कर दे तो उसे कहे आप जाए और मुंशी जी या पण्डित जी को बुलायें। जब वह मुंशी जी को साथ लेकर पधारें तो बालक उसने निवेदन करे कि मैं कुछ प्रश्न पूछना चाहता हूँ क्या उप इसके लिए तैयार हैं ? तो वह जब हाँ में सिर हिलाए तो लड़का मुंशी को कहे कि माँ कालिका जी को आदर सहित सिंहासन पर लाए। जब माँ कालिका सिंहासन पर बिराजे तो लड़का माँ कालिका को 11 रुपये फल-फूल, मिठाई, अगरबत्ती से उनकी पूजा कर, जो प्रश्न मुंशी जी से पूछना चाहे पूछे। मुंशी जी माँ कालिका से उत्तर पूछ कर बालक को हाँ या ना में जवाब देंगे या बालक मुंशी जी से निवेदन करेगा कि मुझे इस भाषा में लिखकर उत्तर दो तो मुंशी स्लेट पर लिखकर भी उत्तर देगा। प्रश्नों का उत्तर प्राप्त करने के बाद माँ कालिका की सवारी को वापिस जाने का निवेदन करें। इस प्रयोग से साधक हर प्रकार के प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर सकता है। इस प्रयोग को सिद्ध करने वाला साधक कभी किसी से रुपया- पैसा न ले तथा गुरु से दीक्षा प्राप्त कर इस सिद्धि को सम्पन्न करें।

हाजरात सिद्धि के लिए कालिका सिद्ध

हाजरात सिद्धि के लिए कालिका सिद्ध

|| मन्त्र ॥

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं हाजरात-सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥

॥ विधि ॥

इस मंत्र का मंगलवार से जप आरम्भ कर 21 दिन में 21000 बार जप विधि-विधान सहित करें, फिर इस मंत्र का दशांश हवन चमेली के फूल और कपूर मिला कर करें तो यह मन्त्र सिद्ध होगा।

फिर पूर्व में वर्णित हाजरात की ही विधि से बालक द्वारा प्रश्न पूछ लें।

ग्रहयुक्त बाल-रोग में टोटका

1. बरसाती मेढ़क की बायीं जाँघ की हड्डी को गले या कमर में बाँधने से अहिण्डिका रोग समाप्त हो जाता है।

2. मीठा तेलिया जहर के एक टुकड़े को कपड़े की ताबीज में रख गले में धारण करने से अहिण्डिका रोग शान्त हो जाता है।

बच्चे के गिरने पर टोटका

यदि गोद का बच्चा गोद से एक-ब एक गिर जाये और पैर इत्यादि से रौंदी हुई धूल और मिट्टी आदि से उसका शरीर मलिन हो जाये, तो उसे पुनः गोद में उठाकर मिट्टी के तीन टुकड़ों को क्रमशः तीन बार उसके सिर को चारों ओर घुमा और सिर से सटाकर फेंक दें। इस टोटके से गोद से गिरने के कारण होने वाला अनिष्ट फल समाप्त हो जाता है।

दिमाग पर दूध या घृत चढ़ जाने पर टोटका

यदि दूध पिलाते या घृत इत्यादि की घुटी देते समय वह सरक जाये, तो शीघ्र ही बच्चे की माता अपने सिर के बाल के गुच्छे से उसके मुख पर हवा करे। इससे उत्पन्न व्याकुलता समाप्त हो जाती है।

बाल-ग्रह नाशक टोटका

यदि छोटे शिशु को भूत, बैताल तथा कूष्माण्ड इत्यादि ग्रह कष्ट दे रहे हों, तो बड़े साँड की सींग में लगी मिट्टी लेकर उसमें गोरोचन मिलायें और उसका तिलक तैयार कर नित्य बच्चे के सिर पर लगाया करें तो ग्रहजनित कष्ट मिट जायें।

गृह सुरक्षा के लिए कालिका सिद्ध

गृह सुरक्षा के लिए कालिका सिद्ध

|| मन्त्र ॥

ॐ उत्तरा-खण्ड

की काली

उत्तर को बाँध

पूरब को बाँध

पच्छिम को बाँध

दक्खिन को बाँध

आगा बाँध

पीछा बाँध

घर के चारों

कोने बाँध

मेरी बाँध न बँधे

तो काली माई

की फिरै दुहाई

शब्द साँचा

पिण्ड काचा

फुरे मन्त्र

ईश्वरो वाचा

॥ विधि ॥

इस मन्त्र का अनुष्ठान 21 दिन का है पुस्तक में कही विधि के अनुसार इस मन्त्र को सिद्ध करें फिर एक मिट्टी का सकोरा (कुज्जा या पुखा) लेकर उसकी पेदी (तली) में छोटा छिद्र करें फिर उसमें शराब, दूध, गौमूत्र भरकर मंत्र का जाप करते हुए सकोरे को हाथ में लेकर घर के सात चक्कर लगायें, फिर चार निम्बू व चार बड़ी लम्बी कीलें लेकर घर के चारों कोनों में चारों निम्बुओं को धरती में दबाकर उनके ऊपर कीलें ठोक दें तो घर सदा के लिए अभिचार कर्मों से सुरक्षित रहेगा।

माँ-काली के प्रत्यक्ष दर्शन के लिए सिद्ध

माँ-काली के प्रत्यक्ष दर्शन के लिए सिद्ध

|| मन्त्र ||

ॐ काली-काली महा-काली इन्द्र की बेटी ब्रह्मा की साली हरी-गोट, पीरी-सारी मायके को बाँध सासरे को बाँध औघट को बाँध गैल को बाँध बार-बार में से सोत-सोत में से बत्तीसउ दाँत में से ऐंच-रौंच के नल्याबे तो फेर महाकाली- न कहावे, तीन पहर तीन घड़ी में, नीलो धुँआ। पीरी रज उड़ा के न आवे। तो काल-भैख की सेज पै पग धरै ॥


॥ विधि ॥

इस मन्त्र का अनुष्ठान 41 दिन का है, इस मन्त्र की 1 माला नित्य प्रतिदिन जपना चाहिए, जप एकांत में करें माँ काली की प्रतिमा या चित्र के सामने धरती पर गाय के गोबर से चौका लगाकर उस पर सिंदूर का गोल बिन्दू लगायें उस स्थान में शराब नौ लौंग, बकरी की कलेजी, मुर्गी का अंडा, फल-फूल मिठाई रखें, सामने दीवार पर एक त्रिशूल की आकृति सिन्दूर से बनायें उपरोक्त सामग्री त्रिशूल के नीचे रख उसकी पूजा करें, जपांत में शराब, मांस से दशांश हवन गुरु आज्ञानुसार करे तो माँ काली साधक को प्रत्यक्ष दर्शन देकर कृतार्थ करती है।

सर्व-कार्य सिद्धि दाता हनुमान

सर्व-कार्य सिद्धि दाता हनुमान

|| मन्त्र ||

ॐ विनायक कण्ठा बेठो आय। सबके पहली सिमर सूँ भूल्या ॥ राय बताय, अंजनी-पुत्र, पवन-। पुत्र, सूद-पुत्र, मैं हुंकारु ॥ जद ही आओ, मेरा काम। सिद्ध कर ल्यावो, हनुमान । बजर की काया, जद हुँकाएँ। जद ही धाया, मैं जाणू पारी-॥ जातः, तू जलम्यो अमावस । की रातः. लूंग-सुपारी-जायफल- ॥ तीनू पूजा लेय, सीध पैरूँ। बैठ के तीधारा खाण्डा लेय ॥ अटक-अटक लंका-सा कोट । समुद्र-सी खाई, लोह की कील ॥ बजर का ताला, आ बैठ हनुमन्त । वज्र रखवाला, आव हनुमन्त । जल्दी आव, हमारा काम सिद्ध। करि ल्याव, शब्द सांचा । पिण्ड कांचा ॥ चलो मन्त्र, ईश्वरो वाचा ॥

॥ विधि ॥

इस मन्त्र का अनुष्ठान 41 दिन का है, साधक श्री हनुमान जी विषयक सभी नियमों का पालने करते हुए प्रतिदिन एक माला का जप व दशांश हवन करें तो यह मन्त्र सिद्ध होगा।

यह अनुष्ठान किसी भी मंगलवार से शुरु कर सकते हैं। अब आप किसी .कार्य के शुभारम्भ में या किसी अन्य कार्यों के समय इस मन्त्र की एक माला जपें तो समस्त कार्य निर्विघ्न सम्पन्न होंगे।

सिद्ध हनुमान जंजीरा

सिद्ध हनुमान

॥ जंजीरा ॥

ॐ वीर बज्र हनुमताय नमः चलो राम दूताय नमः चलो बाँध लोहे का गदा वज्र का कछौटा पान-तेल-सिंदूर की पूजा ओं खं खं खं खट पवन पतंग । ओं चं चं चं कहसि कुबेर भैख कील, मसान कील। देव कील, दानव कील, दैत्य- कील, ब्रह्म-राक्षस कील। छल-छिद्र मेंद कील, नाफ- की तिजारी कील, देव-अचल- चल कील, पृथ्वी कील, मेघ- कील, मेरे ऊपर घात करे। छाती फाट के मरें, माता- अंजनी की दुहाई, सूर्य-वंशी- राजा राम चन्द्र की दुहाई। जती लक्ष्मण की दुहाई। शब्द साँचा, पिण्ड काँचा। फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा ।।


॥ विधि ॥

यह सिद्ध हनुमान जंजीरा है, जो साधक इस जंजीरे का नित्य जाप श्री हनुमान जी विषयक सभी नियमों को ध्यान में रख श्रद्धा से करता है। तो श्री बजरंगी जी की साधक पर असीम कृपा बनी रहती है तथा उसके समस्त संकट नाश होते हैं।

پیر، 4 مارچ، 2024

स्त्री सर्व-रोग नाशक हनुमान (3)

स्त्री सर्व-रोग नाशक हनुमान

|| मन्त्र ||

हनुमान हठीले  लोहे की लाट  वज्र का खीला  भूत को बाँध  प्रेत-को बाँध  मैली कुचमैली  कुँख मैली, रक्त मैली। ऐसी चौदा मैली। पकड़ चोटी न निकाले तो अंजनी का दूध हराम करे महादेव की जटा  में आग लगे ब्रह्मा के वचन से  राम चन्द्र के वचन से। मेरे वचन से  मेरे राजगुरु  के वचन से  इसी वक्त भाग जा॥


॥ विधि ॥

इस मंत्र का अनुष्ठान 21 दिन का है, साधक केशरी नन्दन बजरंग बली विषयक सभी नियमों का ध्यान रख कर प्रतिदिन 1 माला का जप करें तो यह मन्त्र सिद्ध होगा, फिर आवश्यकता के समय रोगी व्यक्ति का झाड़ा लोहे की वस्तु से इस मंत्र को जपते हुए करें तो रोगी रोग से निदान पायेगा।

भैरव पूजन

भैरव पूजन


अष्ट-भैरव-जाप

सत् नमो आदेश, गुरु जी को आदेश! आदेश! ॐ गुरु जी

प्रथमे आदि अलील नाथजी, सुध बुध भैरव बोलिये

इक्कीस ब्रह्माण्ड में बैठकर थापना थापलो, ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर के पिता कहायलो। ब्रह्मा, विष्णु महेश्वर के हाथ से सेवा, पूजा, आरती, धूप, ध्यान कराय लो। लक्ष चौरासी जीया जून को चुग्गा दाना पानी आहार पुराय लो, प्रतिपाल कराय लोजिनकी अर्धागिनी महामनसा देवी, स्थूल दृष्टि, कूर्म वाहन ।। प्रथमे अलील आदि नाथ जी, सुध बुध भैरव, हमारे घट पिण्ड का भय हरणं। दोजख तरणं, नाद-बिन्दु ज्योति कला ले उद्धरणं, धर्म क्षेत्रपाल जी को आदेश। आदेश। द्वितिय ईश्वर महादेव जी भैरव बोलिये। उत्तराखण्ड मानसरोवर बैठ कर थापना थाप लो। तेतीस करोड़ देवी देवों के राजा से सेवा, पूजा, आरती, धूप, ध्यान कराय लो। लक्ष चौरासी जीया जून को चुग्गा, दाना, पानी, आहार पुराय लो, प्रतिपाल कराय लो। जिनकी अर्धागिनी गंगा गोरजां देवी पार्वती जी, वृषभ वाहन ।। दूसरे ईश्वर महोदव जी भैरव बोलिये, हमारे घट पिण्ड का भय हरणं, दोजक तरणम्

नाद-बिन्दु ज्योति कला ले उद्धरणम्, धर्म क्षेत्र पाल जी को आदेश! आदेश!

तीसरे मत्स्येन्द्र नाथ जी भैरव बोलियेराघो मच्छ के घर लिया अवतार, क्षीर सागर बैठकर ले विस्तार। कदली कोट (सिंहल द्वीप) पर बैठकर थापनाथापलो

बावन वीर, चौसठ योगिनी, सवा लक्ष भूतावली के हाथ से सेवा, पूजा, आरती, धूप, ध्यान कराय लो। जिनकी अर्धागिनी महा मंगला पद्मिनी देवी, मच्छ वाहन

तीसरे मत्स्येन्द्र नाथ जी भैरव, हमारे घट पिंड का भय हरणं, दोजख तरणं।

नाद-बिन्दु ज्योति कला ले उद्धरणं, धर्म क्षेत्र पाल जी को आदेश! आदेश

चौथे सिद्ध चौरंगी नाथ जी भैरव बोलिये

राजा शालिवाहन के धर्म पुत्र कहायलो। बिना दोष हाथ पैर कटाय कुयें में गिराय लोबारह वर्ष तक दूध भात का घड़ा भरपूर राख, कुयें के बाहर निकलाय लो।

अठारह भार वनस्पति के राजगुरु कहाय लो।

अठारह भार वनस्पति के हाथ से सेवा, पूजा, आरती, धूप, ध्यान कराय लो। लक्ष चौरासी जीया जून को चुग्गा, दाना, पानी, आहार पुराय लो, प्रतिपाल कराय लो।

जिनकी अर्धांगिनी तारा, त्रिपुरा, तोतला देवी, विश्वकर्मा बल वाहन।।

चौथे सिद्ध चौरंगी नाथ जी भैरव, हमारे घट पिण्ड का भय हरणं, दोजख तरणं। नाद-बिन्दु ज्योति कला ले उद्धरणम् धर्म क्षेत्र पाल जी को आदेश! आदेश!

संकटनाशक मन्त्र

संकटनाशक मन्त्र

ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय हुं फट् घे घे धे धे धे धे स्वाहा । इस मन्त्र का नियमित जप कर सिद्धि प्राप्त कर लेने से साधक एवं साधिकाओं के समस्त प्रकार के संकटों का नाश हो जाता है। इस मन्त्र को प्रातःकाल स्नानादि के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करके किसी एकांत स्थान में प्रतिदिन १०८ बार जपना चाहिए । ९० दिनों के बाद सिद्धि मिलती है। उसके बाद हमेशा पाँच बार स्नान के बाद जपते रहना चाहिए।

रक्षा मन्त्र(1)

रक्षा मन्त्र

ॐ सत नमो आदेश। गुरुजी को आदेश । ॐ गुरुजी। अलख अलख जी हंस बैठा, प्राण पिण्ड वज्र का कोठा। वज्र का पिण्ड, वज्र का हंस, वज्र भयो दशो दरवेस । गुरु मन्त्र से मन बान्धो, तन्त्र शक्ति से तन। चार खानी की जड़ बान्धो चार बानी को बन्ध, कमलारानी कमल रखे, जोत जगाय जोगन। चन्दसूर दो तन प्रकाश, बुद्ध राखे गणेश। चार जुग जोत जगाय गोरख किये अलख । अर्बद-नर्बद आकाश बान्धो, सात समन्दर पाताल बान्धों, बान्धो नव खूट की धरती। हात अस्त्र फास लिया, तिर तिरकस बान लिया। दसम दिशा कु राखी । हस्तक ले मस्तक ले कर मे अंकुश काल। दिन राती अखण्ड बाती करी रक्षा दसो कोतवाल

वज्र का द्वार, वज्र कवाड, वज्र बान्धो मकान। पल पल पल्लु राखी वज्र बाला, ना राखी तो माता गौरया की आन। काशी कोतवाल भैरुनाथ भरे धर्म की साख, टैल टैलुवा, तेल तैलुवा ज्योत जगी अन्त प्रकाश। सौ योजन आगे पाछे, सौ योजन उपर निचे, सौ योजन दाये बाये, सौ सौ योजन ज्योत प्रकाश। उठो हनुमान करो हुंकार राम नाम का झन्कार, आते की सिमा बान्ध जाते की सिमा बान्ध ना बान्धे तो प्रभु रामचन्द्र की आन । राम का

बान चले, चले लक्ष्मण तीर, चौसट जोगन पाट राखे सात समुन्दर नीर। जल बान्धो थल बान्धो, बान्धो सकल संसार । तेज बान्धो तपन बान्धो, बान्धो सकल जंजाल। आटे-घाटे खप्पर जागे, ज्वाला माई कि जोत। काली कराली खन्जर चले नरसिंग करी चोट । भूत कू प्रेत कू भस्म कर भस्म भये पिशाच । दुष्ट को मुष्ठ करे, दैत्य दानव नष्ट करे नष्ट भये शमशान। अलख पुरुष ने हुकम चलायां चल भस्मी माता राख, राख, जती सती को रख पापी पाखण्डी को भख हमको रख दुष्ट को भख । गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र वाचा, ॐ फट् स्वाहा। श्री नाथजी गुरुजी को आदेश ।


उपरोक्त मन्त्र से भभूती बनाके सभी दिशा को फेंकें या सभी दिशा को चुटकी बजाके मन्त्र कहें। यह मन्त्र स्वरक्षा एवं स्थान रक्षा के लिए प्रयोग कर सकते हैं। जिसमें साबुत उड़द का प्रयोग करें।


[ विशेषः- बाहरी बाधा, भूत प्रेत आदि तथा दुष्ट विद्याओं से स्वयं खुदकी तथा स्थान की सुरक्षा अवश्य होगी। होली, अमावस्या, दिवाली, नवरात्र तथा ग्रहण काल में १०८ बार जप करने पर तथा रोट, हलवा, ५ बुन्दी के लड्डु का भोग लगावें। लंगोट वाला वस्त्र, लाल वस्त्र, पीतवस्त्र सवा-सवा मीटर चढ़ावें। पंचोपचारे पूजन करें। मन्त्र सिद्ध हो जायेगा।]

शक्ति मन्त्र

शक्ति मन्त्र

सत नमो आदेश। गुरुजी को आदेश । ॐ गुरुजी । ॐ धार सों धार लागू सिन्दूर लागू पाव । लागू न लोहा पाचे न धार त्रिगुण धारा की त्रिगुण वार। माता शक्ति शेर स्वार। दक्षिण दिशा की बाला सुन्दरी भूत प्रेत पलीत असूरी। अरीष्ट अनिष्ठ दल मारी। ॐ शक्ति माता हमको रखी दुष्टां भाखी । ॐ आद शक्ति विद्महे महामाई धीमहि तन्नो शिव प्रिये प्रचोदयात्। श्री नाथ जी गुरु जी को आदेश। आदेश ।। आदेश ।।।


[ विशेषः- पूर्णिमा या अमावस्या या होली या छोटी दीपावली या नवरात्रों

में नवदुर्गा या दशमहाविद्या की फोटो या मूर्ति या शक्ति के नाम एक कलश स्थापना करें। लाल वस्त्र धारण करें लाल तिलक धारण करें तथा सन्मुख कोई भी शस्त्र रखें। अतः देवी की और शस्त्र की पूर्व दिशा को मुँह करके पंचोपचार लाल फूल (माला), लाल चन्दन या सिन्दूर एवं लाल बुन्दी के लड्डू का भोग लगावें, लाल चुनरी, लाल वस्त्र या साड़ी अर्पण करें। व्रत रखें और उपरोक्त मन्त्र का १००८ बार जप करें। मन्त्र सिद्ध होने पर प्रचिति होगी। शत्रु नाश, संकट निवारण, सुख शान्ति की प्राप्ति होगी। ]

भावार्थ :- अपने हाथ की अनामिका से तिलक लगाना या यन्त्र बनाना या अन्य धार्मिक कार्य करने का कारण अपनी अंगुलियाँ ब्रह्माण्ड की पांचों तत्व का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनके कार्य अनुसार मन बुद्धि, चित्त तथा आत्मिक प्रभाव होता है, मध्यमा में आकाश तत्व तर्जनी में वायु अंगुष्ठ में अग्नि (तेज) कनिष्ठा में जल

पायल मन्त्र

पायल मन्त्र

सित नमो आदेश । गुरुजी को आदेश । ॐ गुरुजी। तोय तलायी तोय तार। पलट काया कंचन सार । तोय पायल धोय पसार। सत्गुरु हुकम करे फरमान । योग मायी चरण शीश नमाय। गत गंगा गुरु ज्ञान। अन्दर बाहर जल समान । मन्त्र पढ़ पायल करे सो अवधू अमरापुर जावे। बिना मन्त्र पायल करे पडे पिण्ड नरक में जाये। इतना पायल मन्त्र जाप सम्पूर्ण भया। श्री नाथजी गुरुजी को आदेश ।


[ विशेषः- इस मन्त्र से स्नान या हाथ पैर धोने से शुद्धता, निर्मलता आती है। अतः कोई भी धार्मिक विधि करने के पूर्व यह विधि करेंपायल करने के पश्चात् सभी उपदेशी योगेश्वर अन्दर कक्ष में एकत्रित होते है। यहां सभी के एक संग मत से ७-८ पदों का चुनाव होता है। अतः निम्न प्रकार शंखढाल क्रिया के मानधारियों का चुनाव होता है।

भैरव ज्योत मन्त्र

भैरव ज्योत मन्त्र

सत नमो आदेश । गुरुजी को आदेश । ॐ गुरुजी। ॐ नाथ निरन्जन भैरु देवा । त्रिदेवजी करते सेवा। सप्त समुन्दर सप्त नीर। तहा बैठा भैरु वीर। मढी मसान में लाग्या ध्यान। मन पवन में हंसा ल्याय। पिण्ड ब्रह्माण्ड अन्त वासा अमरापूर में खेले संगा। जुग जुग जागे जोत जागी लख चौरासी भैरु राखी। कानों कुण्डल भगवा भेष अंग बभूती काले केश। खप्पर में खाय मसान में जाय, कौन भैरव की पूजा मेटे, राज मेटे राज पाट से जाय, प्रजा मेटे दूध पूत से जाय, जोगी मेटे ज्ञान ध्यान से जाय बल भख बला भख पापी पाखण्डी को भख जती सती रख ॐ फट् स्वाहा।

[ मन्त्र सिद्धिः- भैरव मूर्ति को तिल का तेल लेपन करें। सरसों तेल का मिट्टी का दीपक जलावें। पान, नारियल, लौंग, इलायची, लाल पुष्प की माला चढ़ावें और मन्त्र नित्य २१ बार ४१ दिन जपे, मन्त्र सिद्ध होगा सब कार्य सिद्ध होगें। उड़द की दाल के पकोड़े या रोट, काले वस्त्र का भोग लगावें।]

जोत का बीज मन्त्र

जोत का बीज मन्त्र

सत नमो आदेश । गुरुजी को आदेश । ॐ गुरुजी । ॐ नाथजी निरन्जन निराकार बीज मन्त्र तत्सार पीवो पीवो चराचर चरे, सो प्राणी वैकुण्ठ तरे गंगन मण्डल में जय जयकार जपे, नौ करोड़ देवता अपने ग्रह में तपे, त्रिकुटी में शब्द ढुण्डो ढुण्डो एक ओंकार नाथ ज्योत दसवे द्वार निर्मल जोत भई प्रकाश, बीज मन्त्र किसे निरन्जन योगी के पास, अमर योगी, अमर काया, सोधे मन, भरे पिण्ड विनसे नहीं काया, पर मोहो काया ॐ सोहं सिद्धो काया, बीज मन्त्र अखण्ड छाया, बीज मन्त्र जो नर पढे, वो चौरासी में ना पड़े। श्री नाथजी गुरुजी को आदेश । आदेश। आदेश। अथः जाप आरति स्तुति करिष्यन्ति ।

वीर अस्त्र मन्त्र(2)

वीर अस्त्र (मन्त्र)

सत नमो आदेश। गुरुजी को आदेश । ॐ गुरुजी। उलटा तिरकस उलटा तीर। उलटा चले श्री हनुमन्त वीर सवा शेर का तोशा खाय, अस्सी कोश की धवल लगाय, मेरे दुश्मन को पकड़ लाय ना पकड़ लाय तो शम्भुजती गुरु गोरक्षनाथजी की आन, सत फुरे सत् वाचा फूरे घट पिण्ड की रक्षा गुरु गोरक्षनाथजी करे । इतना वीर मन्त्र सम्पूर्ण भया। श्री नाथजी गुरुजी को आदेश । आदेश। आदेश ।


[ मन्त्र सिद्धिः- शनिवार या मंगलवार को दक्षिण दिशा की तरफ मुख वाले हनुमान मन्दिर में जायें, मूर्ति को सिन्दूर लगायें, सरसों के तेल की ज्योत लगायें, लाल बुन्दि, पान, लौंग, इलायची का भोग लगायें। रोट लंगोट चढ़ावें। यह विधि ४१ दिन नित्य ११ बार वीर मन्त्र का जाप करें। मन्त्र सिद्ध हो जायेगा। इसका उपयोग सभी कार्य सफलता में होगा। जो भी कार्य करना हो मन्त्र ७ या ११ बार बोलकर करें।]

संजीवन बाला

संजीवन बाला

सत नमो आदेश । गुरुजी को आदेश । ॐ गुरुजी । ॐ शून्य आकाश, शून्य धरती, शून्य जोती प्रकाश । ओं सों संजिवन काया बिच जम यम का फास। गुरु अविनाशी खेल रचाया। तंतर संजोगी संजिवन बाला। फुरो मन्तर जती गोरख बाला। हिर्दे हिले गिदचालन देखो सिद्धो चले पुतला। कहा से आया कहा को जाना कौन पुरुष ने दिनी छाया। अगम आया निगम को जाना, गुरु अविनाशि ने दिनी छाया, घटे आकाश घटे पाताल घटे गत गंगा भरपूर चन्द सूर दो साख भरे सिद्ध के मुख से बरसे नूर, आओ अवधू शंख ढरे शिव पूजिये प्राणी पावे मोक्ष द्वार । ॐ मृत्युंजयाय विद्महे संजिवनबालाय धी मही तन्नो संजिवनी प्रचोदयात् ।


[ मन्त्र सिद्धिः- पितृ पक्ष में ७ अनाज का पिण्ड बनायें। इस मन्त्र द्वारा जल प्रवाहित करें। पितृ की मुक्ति हो जायेगी। ]