جمعرات، 31 اگست، 2023

गोरख नाथ का सरभंग

गुरु गोरखनाथ का सरभंगा (जञ्जीरा) मन्त्र 

“ॐ गुरुजी में सरभंगी सबका संगी, दूध-मास का इक-रणगी, अमर में एक तमर दरसे, तमर में एक झाँई, झाँई में परछाई दरसे, वहाँ दरसे मेरा साँई। मूल चक्र सर-भंग आसन, कुण सर-भंग से न्यारा है, वाँहि मेरा श्याम विराजे। ब्रह्म तन्त से न्यारा है, औघड़ का चेला-फिरुँ अकेला, कभी न शीश नावाऊँगा, पुत्र-पूर परत्रन्तर पूरुँ, ना कोई भ्रान्त ल्लावूँगा, अजर-बजर का गोला गेरूँ परवत पहाड़ उठाऊँगा, नाभी डंका करो सनेवा, राखो पूर्ण बरसता मेवा, जोगी जुग से न्यारा है, जुग से कुदरत है न्यारी, सिद्धाँ की मुँछयाँ पकड़ो, गाड़ देओ धरणी माँही, बावन भैरुँ, चौंसठ जोगन, उलटा चक्र चलावे वाणी, पेडू में अटके नाड़ा, ना कोई माँगे हजरत भाड़ा, मैं भटियारी आग लगा दियूँ, चोरी चकारी बीज मारी, सात राँड दासी म्हारी, वाना-धारी कर उपकारी, कर उपकार चल्यावूँगा, सीवो दावो ताप तिजारी, तोडूँ तीजी ताली, खट-चक्र का जड़ दूँ ताला, कदेई ना निकले गोरख बाला, डाकिनी शाकिनी, भूताँ जा का करस्यूँ जूता, राजा पकडूँ, हाकिम का मुँह कर दूँ काला, नौ गज पाछे ठेलूँगा, कुँएं पर चादर घालूँ गहरा, मण्ड मसाणा, धुनी धुकाऊँ नगर बुलाऊँ डेरा। यह सरभंग का देह, आप ही कर्ता, आपकी देह, सरभंग का जाप सम्पूर्ण सही, सन्त की गद्दी बैठ के गुरु गोरखनाथ जी कही।” 


विधिः- किसी एकान्त स्थान में धूनी जलाकर उसमें एक चिमटा गाड़ दें। उस धूनी में एक रोटी पकाकर पहले उसे चिमटे पर रखें। इसके बाद किसी काले कुत्ते को खिला दें। धूनी के पास ही पूर्व तरफ मुख करके आसन बिछाकर बैठ जाएँ तथा २१ बार उक्त मन्त्र का जप करें। उक्त क्रिया २१ दिन तक करने से मन्त्र सिद्ध हो जाता है। सिद्ध होने पर ३ काली मिर्चों पर मन्त्र को सात बार पढ़कर किसी ज्वर-ग्रस्त रोगी को दिया जाए, तो आरोग्य-लाभ होता है। भूत-प्रेत, डाकिनी, शाकिनी, नजर झपाटा होने पर सात बार मन्त्र से झाड़ने पर लाभ मिलता है। कचहरी में जाना हो, तो मन्त्र का ३ बार जप करके जाएँ। इससे वहाँ का कार्य सिद्ध होगा।

بدھ، 30 اگست، 2023

ڪامڻ اتارڻ جومنتر

١-اوم بند ري بند بيغ بيغاوربند اترڪاگھورا ڏکڻ بند

ڏکڻ ڪاگھورا پورٻ بندپورٻ ڪا گھوراپشچم بند

پشچم ڪا گھورالنڪا بندلنڪاڪاگھوراآسمان بند

آسمان ڪاگھوراپئياربندجري موتي ڪوبندچيلي 

ميلي ڪون بندسسڻي مسڻي ڪون بندڏيڻ ڏاڪڻ ڪون بندڀوت پليت ڪون بندڪارا ڪامڻ بندپيلا

ڪامڻ بند  واھ ڪامڻ بند ٽاھ ڪامڻ بند 

ابتا ڪامڻ بند سبتا ڪامڻ بند  ڪاري موٺ بند

پيلي موٺ بند واھ موٺ بند ٽاھ موٺ بند

سافي ڀيروبند ١٢ رک بند٦۴ جوڳڻي بند

بيبي فاتما ڪا٣٠روزا حلالحرام ڪرديا ڪوٽ ڪوٽ

وير وير ھنومان جتي ڪي چوٽ شبد ساچا پنڊ

ڪاچا چلومنتر مھاديو ھنومان ويرڪي واچا

ہفتہ، 19 اگست، 2023

सिद्ध अघोर गायतरी

सिद्ध अघोर गायत्री मंत्र :
 
सत नमो आदेश गुरुजी को आदेश। ओम गुरुजी ओम गुरुजी जौ प्रमाण
भख्यन्ते तिल मात्रा तिलक करन्ते आद धर्म पार ब्रह्मा श्री सुन्दरी
बाला नमोस्तुते अघोर-अघोर महा अघोर ब्रह्मा अघोर, बिष्णु अघोर,
शिब अघोर, शक्ति अघोर, पबन अघोर, पानी अघोर, धरती अघोर,
अकाश अघोर, चन्द्र अघोर, सुर्य अघोर पिण्ड प्राण हमारे बजर
अघोर, आदन्त साधन्त अघोर मंत्र स्थिरन्त, उठा हाथ की काया, आद
का योगी अनाद की भभूत संत का नाती धर्म का पूत, बिंद होना
आई नाद, भुर नाद न किसी का ध्यान किसका पुता पानी सेत, न
गुद-गुद सेत, न हाड-हाड सेत, न चाम चाम पडे, तो धरती माता
लाजे पिण्ड पडे तो सतगुरु राखे ऐसे पद को पुजते, योगी आद
अलील अनाहट बरसे अमरी सांधे अमर काया, बजरी सांधे बज्र
काया, हाकमारी हनुमंत आया लोहे का कोट घाब ना पडे
रख्या करें। अचल बन खण्डी पीर, काला खिण्था, काला टोप काला
है। ब्रह्माण्ड, धर्म, धूप, खेबन्ते, बासना गई इक्कीसबें ब्रह्माण्ड, धर्म
गुसांई जी धोती पंखालो, सातबें पाताल-पाताल में परम त्त, परम
तत मध्ये जोत, ज्योत मध्ये परम जोत, परम जोत मध्ये उत्प्न्न भई
माई अघोर गायत्री अजपा जाप जपन्ति, पच्चास लाख कोटि धरती
मध्ये फिरन्ति, कुष्टी का कोढ तरन्ति अचल-चलति अभेद मण्डल
भेदति-छेदति अंछित को पिबन्ति पीब-पीब करती
रुद्र देबता के बचने-बचने आपे के काज कुबारी आपे
के पशु भरता तीनों जाय तीन पुत्र ब्र्हमा-बिष्णु, महेश, अमर रहें।
सेना सुमिरे पटन सुनो देबी पार्बती आप कहें आप कहाबें आप सुणे
आप सुणाबें पद्माबती पार्बती, श्यामा को सलाम गुरों को प्रणाम
पणिडत को प्रमोद करी मूर्ख के हृदय न भाबी फुरों रिद्धि फुरो सिद्धि
संत श्री शम्भु जती गुरु गोरखनाथ जी अनन कोट सिद्धो ले अतरेगी
पार मुझको भी ले अतरेगी पार। श्री नाथजी के चरण कमलों को नमो
नम: इति घोर गायत्री मंत्र पूर्ण भया श्री नाथ गुरुजी को आदेश।।
 
 
।। बिशेष ।।
इस अघोर गायत्री मंत्र से श्मशान की भस्म रमाते हैं। यह मंत्र अघोरी महात्माओं के लिये है जो श्मशान में निबास करते हैं एबं अघोर पंथ की क्रिया करते समय इस मंत्र का प्रयोग किया करते हैं। साधक पहले अपनी सुरख्या का प्रबन्ध करके इष्ट मंत्र या काली कबच से देह बन्धन कर लेते हैं। फिर मस्तक पर टीका लगाकर मंत्र के द्वारा शमशान की भस्म रमाते हैं।
 
इस मंत्र को गुरु मुख से प्राप्त किया जाना अनिबार्य है। यह बिद्या गुरु शिष्य परम्परा से बिधि-बिधान से ग्रहण की जाती है। बिना गुरु के मंत्र का उपयोग करना बर्जित ब हाँनिकारक है। यह मंत्र उच्च कोटि के सिद्ध साधकों के लिये है। आम ब्यक्ति या साधारण साधक इससे दुर ही रहें तो अछा होगा। क्योंकि जिसका काम होता है उसी को बह कार्य लाभ देता है हमारे जैसे आम मनुष्यों को इसका अनुभब एबं ज्ञान नहीं होता और उसे करने की कोशिश भी करेंगे तो लाभ की जगह हानि ही मिलती हैं।
 

नोट : साधकों अघोर गायत्री मंत्र की जानकारी और बिधि किसी महात्मा से प्राप्त करे क्योंकी इसकी क्रिया बिधि गुप्त होती है। उसके नियम आदि सभी केबल गुरुदेब के द्वारा ही जान सकते हैं।

اتوار، 13 اگست، 2023

ऋषि मंन्त्र

(ऋषि) मन्त्र

सत नमो आदेश। गुरुजी को आदेश। ॐ गुरुजी। ओं निरंजनी निरा रुपी सोई जोत स्वरुपी बैठ सिद्धासन देवी जी ऋषि मन्त्र सुनाया आचार विचार ब्रह्माजी कर आद रचाया आओ ऋद्ध बैठो सिद्ध इलंगौ रुप विलंगी बाड़ी सवा शेर विष खाया दिहाडी जेती खाय तेती जरे तिस की रक्षा शम्भूजती गुरु गोरक्षनाथ जी करे। सोई पीवे सोई जरे सोई अमर रहे कहो जी सन्त कहां से आया, अमरपुरी से आया अमरपुर से क्या लाया ऋष मन्त्र ल्याया ऋष मन्त्र का करो विचार कौन कौन ऋष बोलिये आद ऋष जुगाद ऋष नारद ऋष, ऋष की कै पुत्री बोलिये। सूरा ऋष, पारा ऋष, माना ऋष सनकादिक,सनकादिक ऋष कि कै पुत्री बोलिये मेदनी पत्री अघोर-गायत्री कौन भाषा कौन शाखा शिव भाषा शक्ति शाखा ऋष मन्त्र अलख जी भाखा पढ़ ऋष मन्त्र ,कौली खावे गुरु के वचन अमरापुर जावे बिना ऋष मन्त्र कौली खावे पिण्ड पडे नरक में जावे, एता ऋषि मन्त्र जाप सम्पूर्ण भया। अनन्त कोट सिद्ध मे श्री शम्भूजती गुरु गोरक्षनाथ जी ने कहा श्री नाथजी गुरुजी को आदेश। आदेश। आदेश।

  1. [विशेष:- इस मन्त्र का पाठ करके ध्यान साधना में एकाग्रता आकर ऋषि, मुनि, साधु, सन्त के दर्शन होंगे। ४१ दिन पाठ करने पर वार्तालाप होगा। ध्यान के पूर्व २१ प्राणायाम करना अनिवार्य है।

جمعرات، 10 اگست، 2023

Abhor bala gayetri manter

अघोर बाला गायत्री मंत्र

सतनमो आदेश।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी सोने की इंद्री रुपे की धार।धरती माई आपको कोटि कोटि नमस्कार।धर्म की धोती अलील का प्याला।अजरी वजरी चेते गुरु गोरक्षनाथ बाला।धरती की डिब्बी।शक्ति ने बाली।ब्रम्हा विष्णु महेश ने लकड़ी डाली।शिव ने रान्धी।शक्ति ने खाई।अन्नपूर्णा महामाई।हाथ खड़्ग खप्पर गले मुण्डमाला।शिव शक्ति जपो तपो श्री त्रिपुर सुंदरी बाला।ॐ अमरी बांधे अमरी बज्जरी बांधे काया।हाथ जोड़ हनुमन्त खड़ा।बांध ल्याऊं शरीर सारा।नोमण सार भस्म कर डाला।सोने की सुराही रुपे का प्याला।भर भर पियें काल भैरव मतवाला।भजो भजो अलील पुरुष भजो।अनादि फुरो।ऋद्ध फुरो।सिद्ध अलील भजो।अलील पुरुष की चरण कमल पादुका को नमस्कार।ॐ आदि अलील पुरुष की माया।जपो अघोर बाला गायत्री मंत्र अमर रहे काया।अघोर अघोर महा अघोर।ब्रम्हा जी का वचन अघोर।विष्णु जी का शेषनाग अघोर।।महादेव जी की जटा अघोर।हनुमान जी की गदा अघोर।युधिष्ठिर का धर्म अघोर।कामाक्षा देवी का रज अघोर।मेरी वज्जर की काया।जुगति सो मुक्ति।आवें सो जावें।सिद्ध होय वहाँ काल न आवें।कहे लक्ष्मण जति सुनो राजा रामचन्द्र जी श्री अघोर बाला गायत्री मंत्र नित जपे तपे।बारह कोस काल निकट नहिं आवें।ॐ अघोर बाला विदमहे अन्नपूर्णा देवी धीमहि तन्नो अघोर बालाय प्रचोदयात।इतना अघोर बाला गायत्री मंत्र जाप सम्पूर्ण भया।गोरक्ष टिल्ले शिवपुरी धाम पर सिद्धासन बैठ लक्ष्मण जति ने राजा रामचन्द्र जी को पढ़ कथ कर सुनाया।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश

منگل، 8 اگست، 2023

Samadhi gayetri manter

प्रथम धरती द्वितीय आकाश
शत-शत तीनो लोक में वास
चौथे किया कंचन पैदाश
पांचवे धर्म गुसाईं चरण पादुका ब्रह्म छेद
ॐ नमो आदेश गुरु ने।
गुरु तो वन खण्ड पीर कुवाया
तपो वरणी जीव कुवाया
मन उदास भागा
यम लोक सूं जाय आगा।
समाधि गुफा होव एती,
साढ़े तीन हाथ होव जेती।
ब्रह्मा ओडी, विष्णु कुदाली
ईशर गंवरा माटी डाली
हाड गळे हिंगलाज लाजै
मांस गळे मछंदर लाजै
परलै जाय तो सतगुरु लाजै।
सुरनर तो ध्यान करे नर सोई
धरती माता प्रसन्न होई
तेरी काया तेरी माया
तेरा ही था तुझी में समाया।
कहे महादेव सुन पार्वती
एती पढ़ो नित पठी
प्राणी का पाप जाय,
भव भव प्रलय गति।
समाधि बुध भई, महा समाधियां श्री।
परम जोत में तन विश्व किण गुरु से।
अपनी माता नुगरां को मारती,
काया का कलंक निवारती।
राजा इंद्र को श्राप डालती।
खेचरी भूचरी चाचरी
अगोचरी अगमनी पांचों मुद्रा।
पढ़ते पढ़ावते सुनावते
मोक्ष मुक्ति फल पावते
वासा मेरा हंसा प्राणी
पिंडरायां को क्यूं जपो प्राणी
दोजख री विषय मुल्ला सुल्ला

तो सन्मुख नासिका सुरसती।

एती माता अघोर पाप टालती
गुरु हत्या, स्त्री हत्या, पग पग जीव हत्या
बाल हत्या, ब्रह्म हत्या, सर्व हत्या का दोष
माता गायत्री टालती।
सीड़ा भीड़ा को ले तिरणी
किण गुरु से अपनी माता
ॐ नमो स्तुते श्री, पाप से टालती
पढ़ते पढ़ावते मोक्ष मुक्ति फल पावते

समाध गायत्री का जाप सम्पूर्ण भया

अनंत करोड़ नव नाथ चौरासी सिद्धों में
श्री गोरखनाथजी जसनाथजी ने कहा।

ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।