جمعرات، 23 مارچ، 2023

Shree bala jaap

श्रीबाला जाप बीजमंत्र
ॐ नमो आदेश गुरूजी कौं, आदेश ॐ गुरूजी -
ॐ सोहं ऐं क्लीं श्री सुन्दरी बाला
काहे हात पुस्तक काहे हात माला |
बायें हात पुस्तक दायें हात माला जपो तपो श्रीसुन्दरी बाला |
जिवपिण्डका तूं रखवाला हंस मंत्र कुलकुण्डली बाला |
बाला जपे सो बाला होय बूढा जपे सो बाला होय ||
घट पिण्डका रखवाला श्रीशंभु जति गुरु गोरख बाला |
उलटंत वाला पलटंत काया सिद्धोंका मारग साधकोंने पाया ||
ॐ गुरूजी, ॐ कौन जपंते सोहं कौन जपंते ऐं कौन जपंते |
क्लीं कौन जपंते श्रीसुन्दरी कौन जपंते बाला कौन जपंते ||
ॐ गुरूजी, ॐ जपंते भूचरनाथ अलख अगौचर अचिंत्यनाथ |
सोहं जपंते गुरु आदिनाथ ध्यान रूप पठन्ते पाठ ||
ऐ जपंते व्रह्माचार वेद रूप जग सरजन हार |
क्लीं जपंते विष्णु देवता तेज रूप राजासन तपता ||
श्रीसुन्दरी पारवती जपन्ती धरती रूप भण्डार भरन्ती |
बाला जपंते गोरख बाला ज्योति रूप घट घट रखवाला ||
जो वालेका जाने भेव आपहि करता आपहि देव |
एक मनो कर जपो जाप अन्तवेले नहि माई बाप ||
गुरु सँभालो आपो आप विगसे ज्ञान नसे सन्ताप |
जहां जोत तहाँ गुरुका ज्ञान गतगंगा मिल धरिये ध्यान ||
घट पिण्डका रखवाला श्रीशंभु जति गुरु गोरख बाला |
जहां बाला तहां धर्मशाला सोनेकी कूची रुपेका ताला ||
जिन सिर ऊपर सहंसर तपई घटका भया प्रकाश |
निगुरा जन सुगुरा भया कटे कोटि अघ राश ||
सुचेत सैन सत गुरु लखाया पडे न पिण्ड विनसे न काया |
सैन शब्द गुरु कन्हें सुनाया अचेत चेतन सचेत आया ||
ध्यान स्वरूप खोलिया ताला पिण्ड व्रह्माण्ड भया उजियाला |
गुरु मंत्र जाप संपूरण भया सुण पारवती माहदेव कह्ना ||
नाथ निरंजन नीराकार बीजमंत्र पाया तत सार |
गगन मण्डल में जय जय जपे कोटि देवता निज सिर तपे ||
त्रिकुटि महल में चमका होत एकोंकार नाथ की जोत |
दशवें द्वार भया प्रकाश बीजमंत्र, निरंजन जोगी के पास ||
ॐ सों सिद्धोंकी माया सत गुरु सैन अगम गति पाया |
बीज मंत्र की शीतल छाया भरे पिण्ड न विनसे काया ||
जो जन धरे बाला का ध्यान उसकी मुस्किल ह्नोय आसान |
ॐ सोहं एकोंकार जपो जाप भव जल उतरो पार ||
व्रह्मा विष्णु धरंते ध्यान बाला बीजमंत्र तत जान |
काशी क्षेत्र धर्म का धाम जहां फूक्या सत गुरने कान ||
ॐ बाला सोहं बाला किस पर बैठ किया प्रति पाला |
ऋद्ध ले आवै सुण्ढ सुण्ढाला हित ले आवै हनुमत बाला ||
जोग ले आवे गोरख बाला जत ले आवे लछमन बाला |
अगन ले आवे सूरज बाला अमृत ले आवे चन्द्रमा बाला ||
बाला वाले का धर ध्यान असंख जग की करणी जान |
मंगला माई जोत जगाई त्रिकुटि महल में सुरती पाई ||
शिव शक्ति मिल वैठे पास बाला सुन्दरी जोत प्रकाश |
शिव कैलास पर थापना थापी व्रह्मा विष्णु भरै जन साखी ||
बाला आया आपहि आप तिसवालेका माइ न बाप |
बाला जपो सुन्न महा सुन्न बाला जपो पुन्न महा पुन्न ||
बाला जपो जोग कर जुक्ति बाला जपो मोक्ष महा मुक्ति |
बाला बीज मंत्र अपार बाला अजपा एकोंकार ||
जो जन करे बाला की सेव ताकौं सूझे त्रिभुवन देव |
जो जन करे बाला की भ्राँत ताको चढे दैत्यके दाँत ||
भरम पडा सो भार उठावै जहाँ जावै तहाँ ठौर न पावै |
धूप दीप ले जोत जगाई तहाँ वैठी श्री त्रिपुरा माई ||
ऋद्ध सिद्ध ले चौक पुराया सुगुरा जन मिल दर्शन पाया |
सेवक जपै मुक्ति कर पावै बीज मंत्र गुरु ज्ञान सुहावै ||
ॐ सोहं सोधन काया गुरु मंत्र गुरु देव बताया |
सव सिद्धनके मुखसे आया सिद्ध वचन निरंजन ध्याया ||
ओवं कारमें सकल पसारा अक्षय जोगि जगतसे न्यारा |
श्री सत गुरु गुरुमंतर दीजै अपना जन अपना कर लीजै ||
जो गुरु लागा सन्मुख काना सो गुरु हरि हर व्रह्मा समाना |
गुरु हमारे हरके जागे अरज करूं सत गुरुके आगे ||
जोत पाट मैदान रचाया सतसे ल्याया धर्मसे विठाया |
कान फूक सर जीवत कीया सो जोगेसर जुग जुग जीया ||
जो जन करे बालाकी आसा सो पावै शिवपुरिका वास |
जपिये भजिये श्रीसुन्दरी बाला आवा गवन मिटे जंजाला ||
जो फल मांगूँ सो फल होय बाला बीज मंत्र है सोय |
गुरु मंत्र संपूरण माला रक्षा करै गुरु गोरख वाला ||
सेवक आया सरणमें धन्या चरणमें शीष |
बालक जान कर कीजिये दयादृष्टि आशीष ||
गुरु हमारे हरके जागे नीवँ नीवँ नावूँ माथ |
वलिहारी गुरुर आपणे जिन दीपक दीना हाथ ||shree

ہفتہ، 18 مارچ، 2023

Gorkh phitkaar

श्री गोरक्ष फ़टकार मंत्र सतनमो आदेश।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी उत्तर दिशा में श्री सदाशिव शम्भुजती गुरु गोरक्ष नाथ खड़ा।कानों कुण्डल काँधे झोली माथे चन्द्रमा सिर जटा।पगां खड़ाऊ गले रुद्राक्ष माला भगवा भेष हाथ खप्पर त्रिशूल चिमटा।गुरु गोरक्ष नाथ माया मछिन्द्रनाथ का चेला।जति सती की षटक्रिया देखें।तो सिद्धों के संग रहें।नहीं तो मढ़ी मसाण में फिरें अकेला। गुरु गोरक्ष नाथ हुंकारता आया।गाजता आया।घोरता आया।सिर की जटा बखेरता आया।और की चौकी उखाड़ता आया।अपनी चौकी बिठाता आया।और का किवाड़ तोड़ता आया।अपना किवाड़ भेड़ता आया।गौरी नन्द गणेश को उठाकर लाया।काली पुत्र काल भैरव को जगा कर लाया।अंजनी सुत हनुमान को पकड़ कर लाया।हज़रत मुहम्मद साहब को बाँध कर लाया। गुरु गोरक्षनाथ जी तुम्हारा जोग इक्कीस ब्रम्हाण्ड में बड़ा अपार।देव दानव तुम्हारें जोग से नवखण्ड धरती छोड़ भाग जाये पाताल।नगर -खेड़ा बस्ती गाँव के देवी- देवता थर्र थर्राये।सुलेमान पीर ,कमाल खां पठान औऱ मुल्ला मौलवी काजी तुर्क तो मक्का मदीना छोड़ पाताल में घुस जाये।ब्रम्ह हत्या और मुआ मुर्दा जलती चिता छोड़ धरती में धँस जाये।भूत प्रेत जिन्द औऱ राक्षस पिशाच घर बार छोड़ मढ़ी मसाण चौपटा में जाकर सो जाये।डाकिनी शाकिनी औऱ भूतनी प्रेतनी घट पिण्ड को त्याग बारह कोस दूर भाग जाये।बाँधी बाँधी।किस किस को बाँधी।देव दानव को बाँधी।उड़न्त गढ़न्त योगिनी महामारी चुड़ैल को बाँधी।हाट को बाँधी।घाट को बाँधी।मरघट को बाँधी।बाँधी बाँधी रे गढ़ गिरिनार के गुरु गोरक्ष नाथ पीर।संग चलें तेरें नवनाथ चौरासी सिद्ध औऱ बारह पंथो के बारह पीर।गुरु गोरक्ष नाथ आये।गुरु गोरक्ष नाथ जाये।गुरु गोरक्ष नाथ महादेव जी की डिब्बी में जाय समाये।गोरक्ष डिब्बी महादेव जी के पास पड़ी मढ़ी मसाण।महादेव जी ने गोरक्ष डिब्बी दीन्हीं गुरु के हाथ।गुरु ने गोरक्ष डिब्बी दीन्हीं हमारे हाथ। गोरक्ष डिब्बी जहाँ खाई वहाँ दबी।गोरक्ष डिब्बी गोरक्ष फ़टकार।पढ़कर मारूँ मंगलवार।काले उड़द गौरी राई।चौराहे की मिट्टी मढ़ी मसाण की विभुति माई।जिसको ये लगे वो कूदे नो नो ताल।जो नहीं लगे तो माया मछिन्द्रनाथ की करोड़ करोड़ दुहाई।अन्न जल को तरस जाये।गोबर खाये।विष्टा खाये।नीचे सिर ऊपर पैर कर कपड़े फाड़ जंगल में भाग जाये।फिर कर कभी नहीं देखें घर बार।भरमता फिरें दसों द्वार।शब्द साँचा पिण्ड काँचा।फुरे मन्त्र ईश्वर महादेव तेरी वाचा फिरें।घट पिण्ड की रक्षा श्री त्रिपुर बाला सुन्दरी माई करें।इतना गोरक्ष फ़टकार मन्त्र जाप सम्पूर्ण भया।गोरक्ष टिल्ले पर गादी बैठ राजा भृतहरि ने राजा गोपीचन्द को पढ़ कथ कर सुनाया।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश।