پیر، 15 اپریل، 2024

सिध्द शाबर रक्षा मंत्र |

सिध्द शाबर रक्षा मंत्र |

मंत्र -

ॐ नमो आदेश गुरू को, अजर बांधू बजर बांधू, बांधू दशो द्वार, आण पडी हनुमान की, रक्षा राम की कार पहली चौकी गज गणपति की दूजी चौकी विकट वीर हनुमान तीजी चौकी भूमिया भैरव चौथी चौकी नरसिंह की आण इस चौकी को जो कोई लांघे तुरतही धूल भसम हो जावे दुश्मन बैरी जो कोई करे उलट फेर उसी के माथे परे शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा

हनुमान जी को प्रसन्न करने का

हनुमान जी को प्रसन्न करने का

|| मन्त्र ||

अरे-अरे अंजनी कुमारा? मास्मार। जाल-जाल ॥ कोट-कोट ॥ बन्द-बन्द ॥ पूर्व-बन्द । पश्चिम बन्द ॥ उत्तरबन्द । दक्षिण-बन्द ॥ आकाश-बन्द । पाताल-बन्द ॥ ताल के देव बन्द । शब्द सांचा ॥ फुरो मन्त्र ॥

पिण्ड कांचा।

ईश्वरो वाचा ॥

॥ विधि ॥

सर्व प्रथम इस मन्त्र को ग्रहण-काल में 11 माला जप कर सिद्ध कर लें, हनुमान जी विषयक सभी नियमों का पालन करते हुए हनुमान मन्दिर या उनकी प्रतिमा स्थापित कर प्रतिदिन यथा शक्ति पूजन तथा 10 माला का जप एवं दशांश हवन करें, यह क्रिया नित्य करते रहने से कुछ ही दिनों में हनुमान जी प्रसन्न होकर साधक की मनोकामना पूर्ण करते हैं।

सर्व-कार्य सिद्धि दाता हनुमान

सर्व-कार्य सिद्धि दाता हनुमान

|| मन्त्र ||

ॐ विनायक कण्ठा बेठो आय। सबके पहली सिमर सूँ भूल्या ॥ राय बताय, अंजनी-पुत्र, पवन-। पुत्र, सूद-पुत्र, मैं हुंकारु ॥ जद ही आओ, मेरा काम। सिद्ध कर ल्यावो, हनुमान। बजर की काया, जद हुँकाएँ। जद ही धाया, मैं जाणू पारी-॥ जातः, तू जलम्यो अमावस । की रातः. लूंग-सुपारी-जायफल-॥ तीनू पूजा लेय, सीध पैरूँ । बैठ के तीधारा खाण्डा लेय ॥ अटक-अटक लंका-सा कोट । समुद्र-सी खाई, लोह की कील ॥ बजर का ताला, आ बैठ हनुमन्त । वज्र रखवाला, आव हनुमन्त । जल्दी आव, हमारा काम सिद्ध। करि ल्याव, शब्द सांचा। पिण्ड कांचा ॥ चलो मन्त्र, ईश्वरो वाचा ॥

॥ विधि ॥

इस मन्त्र का अनुष्ठान 41 दिन का है, साधक श्री हनुमान जी विषयक सभी नियमों का पालने करते हुए प्रतिदिन एक माला का जप व दशांश हवन करें तो यह मन्त्र सिद्ध होगा।

यह अनुष्ठान किसी भी मंगलवार से शुरु कर सकते हैं। अब आप किसी .कार्य के शुभारम्भ में या किसी अन्य कार्यों के समय इस मन्त्र की एक माला जपें तो समस्त कार्य निर्विघ्न सम्पन्न होंगे।

सिद्ध हनुमान

सिद्ध हनुमान

॥ जंजीरा ॥

ॐ वीर बज्र हनुमताय नमः चलो राम दूताय नमः चलो बाँध लोहे का गदा वज्र का कछौटा पान-तेल-सिंदूर की पूजा ओं खं खं खं खट पवन पतंग। ओं चं चं चं कहसि कुबेर भैख कील, मसान कील। देव कील, दानव कील, दैत्य- कील, ब्रह्म-राक्षस कील। छल-छिद्र मेंद कील, नाफ- की तिजारी कील, देव-अचल- चल कील, पृथ्वी कील, मेघ- कील, मेरे ऊपर घात करे। छाती फाट के मरें, माता- अंजनी की दुहाई, सूर्य-वंशी- राजा राम चन्द्र की दुहाई। जती लक्ष्मण की दुहाई। शब्द साँचा, पिण्ड काँचा। फुरो मन्त्र, ईश्वरो वाचा ॥

॥ विधि ॥

यह सिद्ध हनुमान जंजीरा है, जो साधक इस जंजीरे का नित्य जाप श्री हनुमान जी विषयक सभी नियमों को ध्यान में रख श्रद्धा से करता है। तो श्री बजरंगी जी की साधक पर असीम कृपा बनी रहती है तथा उसके समस्त संकट नाश होते हैं।

हनुमान जी का सिद्ध

हनुमान जी का सिद्ध

॥ जंजीरा ॥

ॐ गुरु जी हनुमन्ता बलवन्ता जेने तात तेल चडन्ता जे बर आवे मार मार करन्ता ते नर पाय पड़न्ता इन्ह कहाँ से आयो ? मेरु पर्वत से आयो कोण लायो ? गौरीपुत्र गणेश लायो कोण के काज ? वीर हनुमान के काज हनुमान बंका मारे डंका गुरु चोट अकणी-साकणी माथे हाँक बगाडे वीर हनुमन्ता कागज-पत्र-शैल-झोल मोल जती-सली की मदद मति संज्ञा माथे फारगती चल-चल कर जहाँ पड़े डेरी पड़े जले थले नवकुल बाँन की आज्ञा फिरे मेरा शब्द फिरे। श्री रामचन्द्र की आज्ञा फिरे सबद सांचा, पण्ड कांचा फुरो मन्त्र ईश्वरी वाचा

इल-इल-महा-इलबोलते की जीभ कील चलते का पाँव कील मारने का हाथ कील देशाते की नजर कील मुए की कबर कील भूल बाँध, पलील बाँध बोधने वाला हनुमान कहाँ से आया? कली कोट से आया सब हमारा विष्ण दस्ता आया जैसा रामचन्द्र का काज सुधार्या तेसा काग हमारा सुधारो मेरा माध्य फिरे श्री रामचन्द्र की आज्ञा फिरे शब्द सांचा, पण्ड कांचा फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा

उत्तर साण्ड से जोगी आया साथे हनुमान वीर लाया अताल बाँधू, पाताल बाँधू पर मन बांधू चार मन बाँधु चोरा बाँधू, चींटा बाँपू भूत बाँपू, चींटा बाँपू भूल बाँधू, पलीत बापू डाकनी बाँधू, साकणी बाँपू बर मन्सरक बाला रावण बाँधू सबब सांचा, पण्ड कांचा चाली मन्त्र ईश्वरी वांचा

॥ विधि ॥

इस जंजीरे का नित्य हनुमान विषयक नियम मानते हुए जप करने से श्री हनुमान जी साधक की सर्प-प्रकार से रक्षा करते हैं तथा उसकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

स्नान मंत्र

गायत्री
गोरखनाथ जी स्नान मंत्र ,अलील गायत्री ,शिव गायत्री 
सत नमो आदेश | आदेश गुरूजी को आदेश |
 ॐ  गुरु जी जल का दान ,जल का स्नान ,जल में ऊना ब्रह्मज्ञान |
 जल ही आये जल ही जाये ,जल ही जल में रह्या समय |
जल ही ऊँचा जल ही  नीचा ,उण पाणी सौ लीजे सींचा |
भुख्याकू  कु अन्न  प्यासे को पाणी ,जहाँ आये गुरु गोरख निर्वाणी |
 पीना पाणी उत्तम जात , जैसा दीवा वैसी बात |
जल में ब्रह्मा जल में शिव जल में शक्ति जल में जीव |
जल में धरती जल में आकाश जल में ज्योति जल में प्रकाश |
जल में निरंजन अवगति रूप ,जगी ज्योत अटल अनूप |
जहा से अपनी शिव गायत्री | तार तार माता शिव गायत्री |
अघोर पिंड पंडता रख ब्रह्मा विष्णु महेश्वर साख |
जपो शिव गायत्री ,सरे प्राणी पावै मोक्ष द्वार |
जोगी जपै जोप पैट ध्यावै राजा जपै राजपद पावै|
 गृही जपै भंडार भर्ती धुधपूत सत धर्म फलती |
जो जग फल मांगू फल होय ,शिव गायत्री माता सोय |
इतना शिव गायत्री मंत्र सम्पूर्ण भया |
गंगा गोदावरी त्र्यम्बक क्षेत्र कौलागढ़ पर्वत अनुपान शिला कल्पवृक्ष 
तहा गादी पर बैठे श्री शम्भू जति गुरु गोरखनाथ ने नौ नाथ चौरासी सिद्ध अनंत कोट सिद्धो को कथा  पढ़ कर सुनाया |
सिद्ध गुरुवरों को आदेश | आदेश | आदेश |

ہفتہ، 6 اپریل، 2024

सिध्द शाबर रक्षा मंत्र |

सिध्द शाबर रक्षा मंत्र |

मंत्र -

ॐ नमो आदेश गुरू को, अजर बांधू बजर बांधू, बांधू दशो द्वार, आण पडी हनुमान की, रक्षा राम की कार पहली चौकी गज गणपति की दूजी चौकी विकट वीर हनुमान तीजी चौकी भूमिया भैरव चौथी चौकी नरसिंह की आण इस चौकी को जो कोई लांघे तुरतही धूल भसम हो जावे दुश्मन बैरी जो कोई करे उलट फेर उसी के माथे परे शब्द सांचा पिंड कांचा फुरो मंत्र ईश्वरी वाचा

(2)

तंत्र बाधा नाशक मंत्र :

ॐ नमो आदेश गुरु को वज्र का कोठा, वज्र का ताला, वज्र से बाँधू दसो द्वारा, यहाँ वज्र का लगा किवाड़ा, वज्र की चौखट, वज्र की कील, जहां से आया, तहां ही जावे, जिसने भेजा, उसको खाए, अपना मुख फिर न दिखाए, हाथ को, नाक को, सिर को, पीठ को, कमर को, छाती को, मेरे इस काया पिंड को यदि कष्ट पहुंचाये तो गुरु गोरखनाथ के धुनें में जले, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति, फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा

(3)

शत्रु उच्चाटन

मंत्र

ॐ एक ही आदि है जग धारा सदा स्मरण करूं ओंकारा

औमकार से मैं काम चलाऊं

ठहरे पर्वत मैं हिलाऊं 

ओमकार से उपजी वायु ।

वायु का बेटा है हनुमान ।

तेरा हूँ मैं एक ही दासा ।

सदा रहो रघुवर के पासा ।

पान बीड़ा तुझे चढ़ाऊं ।

देववत्त को मैं भगाऊं ।

मेरा भागा न भगे ।

रामचन्द्र की दुहाई ।

सीता सत्यवंती की दुहाई 

लक्ष्मण यती की दुहाई ।

गौरा पार्वती की दुहाई ।

منگل، 26 مارچ، 2024

हमजाद सिद्ध करने का मंत्र

हमजाद सिद्ध करने का मंत्र

"आगम निगम की खबर लगावे सोऽहं पारब्रह्म को नमस्कार।"


इस मंत्र को चालीस दिनों तक प्रतिदिन 25000 दफा जाप करने से हमजाद सिद्ध हो जाता है। इस सिद्धि को प्राप्त कर लेने के पश्चात् साधक एक स्थान पर बैठे- बैठे ही दूर देशों तक का हाल पता कर सकता है।


हाजरात का सिद्धि मंत्र


"काला भेरूं काला काल काला भेज्या चारों धाम काल्या काला कहाँ गया भेंने भेज्या वहाँ गया कौन को दिखाए भगे भगाए को रूठे रुठाय को धरती में दबे धन माल को देव दानव को चोर चौपाए को जहाँ के तहाँ को न बताए तो माता कालिका के खप्पर में जरे मेरी भक्ति गुरू की शक्ति।"


इस प्रयोग में बालक/बालिका ही का भी प्रयोग किया जा सकता। इस विशेष काजल को हथेली में वृत्ताकर एक रुपये के सिक्के के बराबर गोलाई में लगाया जा सकता है अथवा नाखून पर भी लगाया जा सकता है। आरम्भ में कज्जल वृत्त में प्रकाश की किरणें फूटती हैं फिर नाग के दर्शन होते हैं। नाग को प्रणाम कर उससे अपना मनोरथ कहना चाहिए। इसके पश्चात् नाग चलता हुआ या उड़ता हुआ चाहे गए स्थान तक जाकर सम्बन्धित बात को दिखाएगा। इस प्रयोग से गुप्त निधि, खोए की तलाश आदि को ज्ञात किया जा सकता है। इस 'हाजरात काजल' को प्राप्त करने के लिए आप हमारे केंद्र से सम्पर्क कर सकते हैं।

हाजरात सिद्धि के लिए कालिका सिद्ध


|| मन्त्र ॥

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं हाजरात-सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ।।


॥ विधि ॥

इस मंत्र का मंगलवार से जप आरम्भ कर 21 दिन में 21000 बार जप विधि-विधान सहित करें, फिर इस मंत्र का दशांश हवन चमेली के फूल और कपूर मिला कर करें तो यह मन्त्र सिद्ध होगा।


फिर पूर्व में वर्णित हाजरात की ही विधि से बालक द्वारा प्रश्न पूछ लें।

हजरात बंगाली कालिका सिद्ध


॥ मन्त्र ॥

ॐ काली माता। काली माता।


ओतो ते ॥


॥ विधि ॥

इस मंत्र का 21 दिन में इक्कीस हजार जप विधि-विधान सहित करने से यह मन्त्र सिद्ध होगा। फिर कपूर का काजल बनाकर उसमें कुछ बूँदे चमेली के सुगंधित तेल की डाल कर उस काजल को सम्भाल कर रखें, आवश्यकता के समय जिस दिन आकाश साफ हो तो सुबह आठ बजे से पहले किसी 11 वर्ष के बच्चे को आसन पर बिठा कर, इस मंत्र से गुड़ 21 बार अभिमंत्रित कर उसे खिलायें, फिर उसके दाहिने हाथ के अंगूठे पर काजल वाली स्याही लगा दें और बच्चे को उस काजल को ध्यान से देखने को कहें, जब लड़का उस अंगूठे पर ध्यान एकाग्रचित करेगा तो उसे एक मैदान दिखाई देगा उसमें कुछ आकृतियां दिखाई देंगी। तब लड़का कहे कि भंगी हाजिर हो तो अंगूठे वाले मैदान में भंगी आ जायेगा, तो लड़का उसे झाड़ लगाने को कहे, जब झाडू लगाकर खड़ा हो जाये तो लड़का कहे भंगी साब आप जाये और पानी छिड़काव करने वालों को भेजें, जब पानी छिड़काव करने वाला आ कर खड़ा हो जाये तो उसे लड़का पानी छिड़कने को कहे जब वह पानी छिड़ककर खड़ा हो जाय तो उसे लड़का आदेश करे कि आप जायें और फर्श लगाने वाले को भेजें। जब फर्श लगाने वाला आकर फर्श लगादे और सिंहासन स्थापित कर दे तो उसे कहे आप जाए और मुंशी जी या पण्डित जी को बुलायें। जब वह मुंशी जी को साथ लेकर पधारें तो बालक उसने निवेदन करे कि मैं कुछ प्रश्न पूछना चाहता हूँ क्या उप इसके लिए तैयार हैं ? तो वह जब हाँ में सिर हिलाए तो लड़का मुंशी को कहे कि माँ कालिका जी को आदर सहित सिंहासन पर लाए। जब माँ कालिका सिंहासन पर बिराजे तो लड़का माँ कालिका को 11 रुपये फल-फूल, मिठाई, अगरबत्ती से उनकी पूजा कर, जो प्रश्न मुंशी जी से पूछना चाहे पूछे। मुंशी जी माँ कालिका से उत्तर पूछ कर बालक को हाँ या ना में जवाब देंगे या बालक मुंशी जी से निवेदन करेगा कि मुझे इस भाषा में लिखकर उत्तर दो तो मुंशी स्लेट पर लिखकर भी उत्तर देगा। प्रश्नों का उत्तर प्राप्त करने के बाद माँ कालिका की सवारी को वापिस जाने का निवेदन करें। इस प्रयोग से साधक हर प्रकार के प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर सकता है। इस प्रयोग को सिद्ध करने वाला साधक कभी किसी से रुपया- पैसा न ले तथा गुरु से दीक्षा प्राप्त कर इस सिद्धि को सम्पन्न करें।


جمعرات، 7 مارچ، 2024

सुख-समृद्धि दायक कालिका

सुख-समृद्धि दायक कालिका

|| मन्त्र ||

ॐ नमो आदेश गुरु को। सात भवानी कालिका ॥ बारह वर्ष कुमार। एक माई परमेश्वरी ।। चौदह भुवन द्वार। दो पक्ष निर्मली ॥ तेरह देवी-देव। अष्ट भुजी परमेश्वरी ।। ग्यारह रुद्रकर सेव । सोलह कला सम्पूर्णा ॥ तीन नयन भरपूर । दश अवतारी ॥ पाँच देव रक्षा करें। नव नाथा-चौरासी सिद्ध ॥ षट्-दर्शन पाइए । पन्द्रह तिथि जान ॥ चार वेद वखानिए। काली कर कल्याण ॥


॥ विधि ॥ इस मन्त्र का जो साधक नित्य सच्चे मन से माँ कालिका का ध्यान कर जप करता है वह संसार के सम्पूर्ण सुख प्राप्त करता है। उसको जीवन में किसी तरह का अभाव नहीं रहता है।


इस मन्त्र में महा कालिका के चौंतीस के यन्त्र की सम्पूर्ण विधि समाई हुई है इस लिए इस मन्त्र का जप कर झाड़ा करने से भूत-प्रेतादि दौषों का निवारण होता है।

हजरात बंगाली कालिका सिद्ध

हजरात बंगाली कालिका सिद्ध

॥ मन्त्र ॥

ॐ काली माता। काली माता । ओतो ते ॥

॥ विधि ॥

इस मंत्र का 21 दिन में इक्कीस हजार जप विधि-विधान सहित करने से यह मन्त्र सिद्ध होगा। फिर कपूर का काजल बनाकर उसमें कुछ बूंदे चमेली के सुगंधित तेल की डाल कर उस काजल को सम्भाल कर रखें, आवश्यकता के समय जिस दिन आकाश साफ हो तो सुबह आठ बजे से पहले किसी 11 वर्ष के बच्चे को आसन पर बिठा कर, इस मंत्र से गुड़ 21 बार अभिमंत्रित कर उसे खिलायें, फिर उसके दाहिने हाथ के अंगूठे पर काजल वाली स्याही लगा दें और बच्चे को उस काजल को ध्यान से देखने को कहें, जब लड़का उस अंगूठे पर ध्यान एकाग्रचित करेगा तो उसे एक मैदान दिखाई देगा उसमें कुछ आकृतियां दिखाई देंगी। तब लड़का कहे कि भंगी हाजिर हो तो अंगूठे वाले मैदान में भंगी आ जायेगा, तो लड़का उसे झाड़ लगाने को कहे, जब झाडू लगाकर खड़ा हो जाये तो लड़का कहे भंगी साब आप जाये और पानी छिड़काव करने वालों को भेजें, जब पानी छिड़काव करने वाला आ कर खड़ा हो जाये तो उसे लड़का पानी छिड़कने को कहे जब वह पानी छिड़ककर खड़ा हो जाय तो उसे लड़का आदेश करे कि आप जायें और फर्श लगाने वाले को भेजें। जब फर्श लगाने वाला आकर फर्श लगादे और सिंहासन स्थापित कर दे तो उसे कहे आप जाए और मुंशी जी या पण्डित जी को बुलायें। जब वह मुंशी जी को साथ लेकर पधारें तो बालक उसने निवेदन करे कि मैं कुछ प्रश्न पूछना चाहता हूँ क्या उप इसके लिए तैयार हैं ? तो वह जब हाँ में सिर हिलाए तो लड़का मुंशी को कहे कि माँ कालिका जी को आदर सहित सिंहासन पर लाए। जब माँ कालिका सिंहासन पर बिराजे तो लड़का माँ कालिका को 11 रुपये फल-फूल, मिठाई, अगरबत्ती से उनकी पूजा कर, जो प्रश्न मुंशी जी से पूछना चाहे पूछे। मुंशी जी माँ कालिका से उत्तर पूछ कर बालक को हाँ या ना में जवाब देंगे या बालक मुंशी जी से निवेदन करेगा कि मुझे इस भाषा में लिखकर उत्तर दो तो मुंशी स्लेट पर लिखकर भी उत्तर देगा। प्रश्नों का उत्तर प्राप्त करने के बाद माँ कालिका की सवारी को वापिस जाने का निवेदन करें। इस प्रयोग से साधक हर प्रकार के प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर सकता है। इस प्रयोग को सिद्ध करने वाला साधक कभी किसी से रुपया- पैसा न ले तथा गुरु से दीक्षा प्राप्त कर इस सिद्धि को सम्पन्न करें।

हाजरात सिद्धि के लिए कालिका सिद्ध

हाजरात सिद्धि के लिए कालिका सिद्ध

|| मन्त्र ॥

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं हाजरात-सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥

॥ विधि ॥

इस मंत्र का मंगलवार से जप आरम्भ कर 21 दिन में 21000 बार जप विधि-विधान सहित करें, फिर इस मंत्र का दशांश हवन चमेली के फूल और कपूर मिला कर करें तो यह मन्त्र सिद्ध होगा।

फिर पूर्व में वर्णित हाजरात की ही विधि से बालक द्वारा प्रश्न पूछ लें।

ग्रहयुक्त बाल-रोग में टोटका

1. बरसाती मेढ़क की बायीं जाँघ की हड्डी को गले या कमर में बाँधने से अहिण्डिका रोग समाप्त हो जाता है।

2. मीठा तेलिया जहर के एक टुकड़े को कपड़े की ताबीज में रख गले में धारण करने से अहिण्डिका रोग शान्त हो जाता है।

बच्चे के गिरने पर टोटका

यदि गोद का बच्चा गोद से एक-ब एक गिर जाये और पैर इत्यादि से रौंदी हुई धूल और मिट्टी आदि से उसका शरीर मलिन हो जाये, तो उसे पुनः गोद में उठाकर मिट्टी के तीन टुकड़ों को क्रमशः तीन बार उसके सिर को चारों ओर घुमा और सिर से सटाकर फेंक दें। इस टोटके से गोद से गिरने के कारण होने वाला अनिष्ट फल समाप्त हो जाता है।

दिमाग पर दूध या घृत चढ़ जाने पर टोटका

यदि दूध पिलाते या घृत इत्यादि की घुटी देते समय वह सरक जाये, तो शीघ्र ही बच्चे की माता अपने सिर के बाल के गुच्छे से उसके मुख पर हवा करे। इससे उत्पन्न व्याकुलता समाप्त हो जाती है।

बाल-ग्रह नाशक टोटका

यदि छोटे शिशु को भूत, बैताल तथा कूष्माण्ड इत्यादि ग्रह कष्ट दे रहे हों, तो बड़े साँड की सींग में लगी मिट्टी लेकर उसमें गोरोचन मिलायें और उसका तिलक तैयार कर नित्य बच्चे के सिर पर लगाया करें तो ग्रहजनित कष्ट मिट जायें।

गृह सुरक्षा के लिए कालिका सिद्ध

गृह सुरक्षा के लिए कालिका सिद्ध

|| मन्त्र ॥

ॐ उत्तरा-खण्ड

की काली

उत्तर को बाँध

पूरब को बाँध

पच्छिम को बाँध

दक्खिन को बाँध

आगा बाँध

पीछा बाँध

घर के चारों

कोने बाँध

मेरी बाँध न बँधे

तो काली माई

की फिरै दुहाई

शब्द साँचा

पिण्ड काचा

फुरे मन्त्र

ईश्वरो वाचा

॥ विधि ॥

इस मन्त्र का अनुष्ठान 21 दिन का है पुस्तक में कही विधि के अनुसार इस मन्त्र को सिद्ध करें फिर एक मिट्टी का सकोरा (कुज्जा या पुखा) लेकर उसकी पेदी (तली) में छोटा छिद्र करें फिर उसमें शराब, दूध, गौमूत्र भरकर मंत्र का जाप करते हुए सकोरे को हाथ में लेकर घर के सात चक्कर लगायें, फिर चार निम्बू व चार बड़ी लम्बी कीलें लेकर घर के चारों कोनों में चारों निम्बुओं को धरती में दबाकर उनके ऊपर कीलें ठोक दें तो घर सदा के लिए अभिचार कर्मों से सुरक्षित रहेगा।

माँ-काली के प्रत्यक्ष दर्शन के लिए सिद्ध

माँ-काली के प्रत्यक्ष दर्शन के लिए सिद्ध

|| मन्त्र ||

ॐ काली-काली महा-काली इन्द्र की बेटी ब्रह्मा की साली हरी-गोट, पीरी-सारी मायके को बाँध सासरे को बाँध औघट को बाँध गैल को बाँध बार-बार में से सोत-सोत में से बत्तीसउ दाँत में से ऐंच-रौंच के नल्याबे तो फेर महाकाली- न कहावे, तीन पहर तीन घड़ी में, नीलो धुँआ। पीरी रज उड़ा के न आवे। तो काल-भैख की सेज पै पग धरै ॥


॥ विधि ॥

इस मन्त्र का अनुष्ठान 41 दिन का है, इस मन्त्र की 1 माला नित्य प्रतिदिन जपना चाहिए, जप एकांत में करें माँ काली की प्रतिमा या चित्र के सामने धरती पर गाय के गोबर से चौका लगाकर उस पर सिंदूर का गोल बिन्दू लगायें उस स्थान में शराब नौ लौंग, बकरी की कलेजी, मुर्गी का अंडा, फल-फूल मिठाई रखें, सामने दीवार पर एक त्रिशूल की आकृति सिन्दूर से बनायें उपरोक्त सामग्री त्रिशूल के नीचे रख उसकी पूजा करें, जपांत में शराब, मांस से दशांश हवन गुरु आज्ञानुसार करे तो माँ काली साधक को प्रत्यक्ष दर्शन देकर कृतार्थ करती है।