منگل، 26 ستمبر، 2023

धरती गायत्री मंत्र

धरत्री गायत्री पूजन
विधि:
प्रथम गौ-गोबर से धरती पर धरत्री विक्र के आकार का लेपन करें। वह सुखने के पश्चानत अष्ठगंध से चक्र मे दिखाया शेष नाग जैसा शोष केतकी डंठल से अष्ठगंध स्याही से या अक्षदा से बनावे अब भोज पत्र ऊपर या पाटला के ऊपर या शुभ्र वस्त्र के ऊपर चक्र बनावे अर्शित २७ नक्षत्र १२ राशि ९ ग्रह इत्यादि नाम देकर यह यन्त्र चक्र शेष ऊपर स्थापन करे, यंत्र चक्र के पूर्व दिशा मे दीप गौघृत धूप, दक्षिण दिशा में शस्त्र त्रिशूल, चिमटा, खडांग ‍इत्यादि रखें तथा पश्चिम दिशा मे कलश जल त्रिवेणी संगम या समुद्र जल रखे उत्तर दिशा में खनिज सुवर्ण, चांदी, कोयला तथा वनस्नति वटवृक्ष, पीपल, नीम इत्यरदि मे एक स्थापन करे।
विवरण:-
शेष नाग ऊपर धरत्रि‍ विराजमान ‍है तथा नक्षत्र राशी मे भ्रमण कराते है। जब सिंह कन्या तुला राशी के सूर्य मे शेषनाग का मुख इशान मे अग्नि दिशा मे खो देवें, तथा वृश्चि क, धनु मकर के सूर्य मे शेषनाग का मुख नैवृत्य वायत्य दिशा मे होता है वूषभ मिथुन कर्क के सूर्य के सूर्य में शेषनाग का मुख अग्नि मे नैॠत्य मे दिशा मे होता है ।
अब १२ मास में अश्वि न, भाद्रपद कार्तिक मास में शेषनाग का सिर पूर्व दिशा मे मार्गशीष, पौष माघ में उक्षिण में तथा फाल्गुन चैत्र वैशाख पश्चिशम में और जेष्ठ आषाढ़ श्रवण मे मुख उत्तर दिशा मे रहता है। फल:- यउद शेषनाब के सिर पर खुदवायें तो मातृपितृ गुरू की हानी होती है। पीठ पर खुदवायें तो भय रोग और पूंछ पर खुदवायें तो तीन गौत्र की हानी ‍होती है। खाली जगह पर खुदवायें तो शुभ लाभ ‍होता है।
शयन:-
सूर्य के नक्षत्र में पांचवे, २० वे ९ वे १२ वे २६ वे इन पर पृथ्वी धरत्रि शयन करती है। सोयी हुई पॄथ्वी पर तालाब, बावडी, कुंआ, हवेली, मठ मन्दिर कभी नही खोदना चाहिये। अत: धरत्री गायत्री पूजन जेष्ठ, आषाढ़ श्रावण में करें पूजन के लिए सोभाग्य सूचक कुंकुम, हल्दी अक्षदा कमल का फूल गंगा जल कलश, धुप दिश घृत इत्यादि साहित्य से धारत्री का द्वादश मन्त्र पढकर चक्र मे दिखाये हुये यन्त्र के ऊपर अक्षदा छोडें।


   
 
धरत्री गायत्री द्वादश मन्त्र
सत नमो आदेश। गुरूजी को आदेश। ॐ गुरूजी। जो समान धर्ती तिल समान काया, फाटक खोल धर्ती माता तेरे मे योगीश्वआर आया। हिन्दू को जलाया, मुसलमान को दबाया-तिसरा सिक्का श्री नाथ जी ने चलाया। सातवें पाताल एक निरंजन निराकार ज्यो‍ति स्वरूप उनकी चरण पादुका पूजिये जो ! चरण कमल पर जल, जल पर थल, थल पर मच्छ, मच्छ पर कच्छ, कच्छ पर कमल का फूल, कमल के फूल पर शोषनाग, शेषनाग पर धौल बैल धौल बैल के सींग पर राई का दाना। राई के दाने पर श्री नाथ जी ने नवखण्ड पृथ्वी ठहरायी। प्रथम नाम धर्ती (यन्त्र के ऊपर ‘’ॐ धर्ती माता को आदेश’’ कहकर अक्षद छोडें)‍ द्वितिये नाम विश्वलम्भरा (यन्त्र के ऊपर ‘’ॐ विश्वंम्भरा माता को आदेश’’ कहकर अक्षद छोडें) तृतीय नाम मेद मेदिनी (यन्त्र के ऊपर ‘’ॐ मेद मेदिनी माता को आदेश’’ कहकर अक्षद छोडें) चतुर्थ मनसा (यन्त्र के ऊपर ‘’ॐ माता मनसा को आदेश’’ कहकर अक्षद छोडें) पांचवे नाम कृतिका (यन्त्र के ऊपर ‘’ॐ कृतिका माता को आदेश’’ कहकर अक्षद छोडें) छटे नाम ब्रह्मचण्डी (यन्त्र के ऊपर ‘’ॐ माता ब्रह्मचण्डी को आदेश’’ कहकर अक्षद छोडें) सातवें कन्या कुमारी (यन्त्र के ऊपर ‘’ॐ माता कन्या कुमारी को आदेश’’ कहकर अक्षद छोडें) अष्ठ मे वज्रबाला भव योगनी (यन्त्र के ऊपर ‘’ॐ वज्रबाला माता को आदेश’’ कहकर अक्षद छोडें) नवमे नौ करोड दुर्गा (यन्त्र के ऊपर ‘’ॐ नो करोड दुर्गा माता को आदेश’’ कहकर अक्षद छोडें) दशमे सिंह भवानी (यन्त्र के ऊपर ‘’ॐ भवानी माता को आदेश’’ कहकर अक्षद छोडें) ग्यारहवें चन्द्रघण्टा मृतका (यन्त्र के ऊपर ‘’ॐ माता चन्द्रघण्टा को आदेश’’ कहकर अक्षद छोडें) बारहवें बरदायनी। (यन्त्र के ऊपर ‘’ॐ माता बरदायनी को आदेश’’ कहकर अक्षद छोडें) आदि सत्य, नाद सत्य, मुद्रा सत्य, सत्य धर्ती माई धर्ती ध्यान सदा से लायी, अरणी-अरणी सूर्य चान्द को धाई। धर्ती माता तुम बडी तुमसे बडा न कोय। जो धर्ती पर पग धरे तो कन्चन काया होय। आदि की धर्ती अन्त की काया। अमर हो धरती वज्र हो काया। धर्ती माता के पिण्ड प्राण सदा बालक स्वरूपी हो रहे। कसटया न काटे, जाल्या न जले, डुबाया न डुबे, ब्रह्म तेज ‍हो रहे धर्ती द्वादश पढ़न्ते सुन्नते मोक्ष मुक्ति फल पावन्ते। गर्भ योनी कभी न आवन्ते। श्री नाथजी गुरूजी को आदेश।आदेश।आदेश। इसी तरह मन्त्र पढकर सामुपचारे पंचोपचारे या षोडशोपचारे या यथालब्धोपचार धर्ती माँ की पूजा करें।
सुचना सि‍द्धि:-
गुफा मे या जमीन खोद कर धर्ती के अन्दर बाघांबर आसन लगा कर जेष्ठ, आषाढ़, श्रावण मास मे या शरद ॠतु मे सूर्य उत्तरायण में यह मन्त्र ४१ दिन तक जाप करे तो भूमि के अन्दर, द्रव्य दर्शन, जल दर्शन, खनिज दर्शन इत्यादि सिद्धियां प्राप्त होती हैं। साधक अनुष्ठान करके तथा गुरू की आज्ञा से यह साधना करे।
विशेष:-

  1. कर्मकाण्ड (अभिषेक् यज्ञ-हवन-जप अनुष्ठान इत्यादि धार्मिक विधि) करते समय तथा नया घर (मकान, दुकान) जमीन खरीदने तथा नये घर मे गृह प्रवेश करने के समय उपरोक्त मन्त्र विधि से धरत्री पूजन करे और धरत्री माता की प्रार्थना करे कि ‘’हमे हमारे कार्य के लिए (जगह) स्थान प्रदान करने की कृपा करें’’ (ऐसा करने से शुभ-अशुभ, मुहूर्त या काल इत्यादि देखने की आवश्येकता नही पड़ती)।

پیر، 25 ستمبر، 2023

गुरू गोरख नाथ मंत्र

Guru Gorakhnath Mantra

गुरु गोरखनाथ शाबर मंत्र : – 

यह गुरु गोरखनाथ जी का एक शक्तिशाली मंत्र है | यह मंत्र गुरु गोरखनाथ द्वारा सिद्ध होने के कारण तुरंत प्रभाव दिखता है | इस मंत्र का प्रयोग किसी भी व्यक्ति पर किये-कराये व सभी प्रकार के वशीकरण के प्रभाव को खत्म करने के लिए किया जा सकता है |

 1. गुरु गोरखनाथ शाबर मंत्र  : –

ॐ वज्र में कोठा, वज्र में ताला

वज्र में बंध्या दस्ते द्वारा

तहां वज्र का लग्या किवाड़ा

वज्र में चौखट, वज्र में कील

जहां से आय, तहां ही जावे

जाने भेजा, जांकू खाए

हमको फेर न सूरत दिखाए

हाथ कूँ, नाक कूँ, सिर कूँ

पीठ कूँ, कमर कूँ, छाती कूँ

जो जोखो पहुंचाए

तो गुरु गोरखनाथ की आज्ञा फुरे

मेरी भक्ति गुरु की शक्ति

फुरो मंत्र इश्वरोवाचा ||

मंत्र प्रयोग विधि : –  सात कुओं से जल लाकर इस जल को एक पात्र में एकत्रित कर रोगी को स्नान कराये | रोगी को स्नान कराते समय उपरोक्त मंत्र का उच्चारण करते रहे | वशीकरण व किये-कराये के प्रभाव से रोगी को तुरंत आराम मिलेगा |

समाधि गायत्री मंत्र

सिद्ध सम्प्रदाय में ‘योगी’ (नाथ) संप्रदाय की ही तरह समाधि देने और समाधि देते समय समाधि गायत्री के पाठ का नियम है। समाधि गायत्री सुना कर समाधि के बाद नारायण बलि, गंगा में अस्थि विसर्जन जैसे कर्मकांडों की जरूरत नहीं रहती, प्राणी स्वतः ही मुक्ति हो जाती है। सिद्ध सम्प्रदाय में प्रचलित समाधि गायत्री में गोरखनाथजी रचित गायत्री से थोड़ी भिन्नता हो सकती है, अलग अलग गांवों में एकाध शब्द के उच्चारण में भिन्नता हो सकती है लेकिन सनातन धर्म की गोरखपंथी शाखा के सभी संप्रदायों में किंचित फेर बदल के साथ यही गायत्री पढ़ी सुनाई जाती है। इस गायत्री को टाइप करते समय या वाक्य विन्यास में कोई गलती रही गई हो तो sateramdass@gmail.com पर ईमेल करें।


प्रथम धरती द्वितीय आकाश

शत-शत तीनो लोक में वास

चौथे किया कंचन पैदाश

पांचवे धर्म गुसाईं चरण पादुका ब्रह्म छेद

ॐ नमो आदेश गुरु ने।

गुरु तो वन खण्ड पीर कुवाया

तपो वरणी जीव कुवाया

मन उदास भागा

यम लोक सूं जाय आगा।

समाधि गुफा होव एती,

साढ़े तीन हाथ होव जेती।

ब्रह्मा ओडी, विष्णु कुदाली

ईशर गंवरा माटी डाली

हाड गळे हिंगलाज लाजै

मांस गळे मछंदर लाजै

परलै जाय तो सतगुरु लाजै।

सुरनर तो ध्यान करे नर सोई

धरती माता प्रसन्न होई

तेरी काया तेरी माया

तेरा ही था तुझी में समाया।

कहे महादेव सुन पार्वती

एती पढ़ो नित पठी

प्राणी का पाप जाय,

भव भव प्रलय गति।

समाधि बुध भई, महा समाधियां श्री।

परम जोत में तन विश्व किण गुरु से।

अपनी माता नुगरां को मारती,

काया का कलंक निवारती।

राजा इंद्र को श्राप डालती।

खेचरी भूचरी चाचरी

अगोचरी अगमनी पांचों मुद्रा।

पढ़ते पढ़ावते सुनावते

मोक्ष मुक्ति फल पावते

वासा मेरा हंसा प्राणी

पिंडरायां को क्यूं जपो प्राणी

दोजख री विषय मुल्ला सुल्ला

तो सन्मुख नासिका सुरसती।

एती माता अघोर पाप टालती

गुरु हत्या, स्त्री हत्या, पग पग जीव हत्या

बाल हत्या, ब्रह्म हत्या, सर्व हत्या का दोष

माता गायत्री टालती।

सीड़ा भीड़ा को ले तिरणी

किण गुरु से अपनी माता

ॐ नमो स्तुते श्री, पाप से टालती

पढ़ते पढ़ावते मोक्ष मुक्ति फल पावते


समाध गायत्री का जाप सम्पूर्ण भया

अनंत करोड़ नव नाथ चौरासी सिद्धों में

श्री गोरखनाथजी जसनाथजी ने कहा।

ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।

بدھ، 13 ستمبر، 2023

Durga Sadhna

माँ दुर्गा की साधना के लिए नवरात्रों से उत्तम कोई पर्व नहीं है ! ऐसा कौन सा फल है जो माँ की आराधना से ना मिलता हो ? माँ जगदम्बा को धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष - चारों पुरुषार्थों को देने में समर्थ है ! माँ जगदम्बा की कृपा से भक्ति, मुक्ति और शक्ति को देने वाली है, भयंकर से भयंकर शत्रु भी माँ गदम्बा की कृपा से पस्त हो जाता है ! जब जब देवताओं पर संकट आता है माँ जगदम्बा उनकी रक्षा करती है ! देवी के नौ रूप माँ दुर्गा का ही स्वरुप है , इसलिए उन्हें नवदुर्गा भी कहा जाता है ! माँ की प्रसन्नता के लिए सिंह-वाहिनी माँ दुर्गा का ध्यान कर इस मंत्र का जप करे ! ||  मंत्र  || ॐ ह्रीं दुं दुर्गाये नमः  ||  विधि  || रात्रिकाल में माँ जगदम्बा का पूजन कर उन्हें लाल पुष्प अर्पित करे और उपर्युक्त मंत्र का प्रतिदिन 9 माला जप करे और दरिद्रता-नाश के लिए अथवा शत्रु-नाश के लिए माँ से प्रार्थना करे ! आप सबको मेरी तरफ से नवरात्रों की हार्दिक शुभ-कामनायें... माँ जगदम्बा आप सब पर कृपा करे... जय सदगुरुदेव........

Hanuman chalisa

*🙏جئہ شِرِي رام ، جئہ ھنومان🙏*

۔     *شِـرِي ھَنُومتے نَمھہ*

””””””””””””””ـ”””””””””””””

۔     *شِرِي ھَنُومان چالِيسا*

(دوھا)

*شِرِي گُــرُو چَرَن سَروج رَج ،*

*نِــج  مَــنُ  مُـڪُــر  سُـــڌارِ .*

*بَرنئُوں رگهُـوبَـر بِمَـل جَسُ ،*

*جــو  دايَــڪُ    ڦَــل  چـارِ .*

*ٻُـڌِي-ھِيـن تَـنُو جانِ ڪـے ،*

*سُـمِـرَئُــوں  پَـوَن- ڪُـمــار .*

*ٻَل ٻُڌِي وِديا ديھُو موھِي ،*

*ھَـرھُـو  ڪـليـش  وِڪـــار .*


۔    *شِرِي ھَنُومان چالِيسا*

( چوپائِي )

*جَـيہ ھَـنُـومــان گِـيــان گُــن ســاگـر*

*جَـيہ ڪپِيس تِيھُـوں  لوڪ اُجـاگـر*


*رام   دُوت    اَتُـلِـت    ٻَــل    ڌامــــا*

*اَنجـنِـي  پُـتـر   پَــوَن سُـت    نـامــا*


*مـھـــاوِيـــر   وِڪـــرم   بـجــرَنـگِـــي*

*ڪُـمَتِـي نِـوار  سُمَتِـي  ڪـے  سَنگِـي*


*ڪَــنـچَــن    وَرَن    وِراج   سُـبـيـسا*

*ڪانَـن   ڪُنڊل   ڪُنچِـت   ڪيـشـا*


*ھـاٿ  وَجَــر  اؤر   ڌُوَجــا   وِراجـئـے*

*ڪــانـڌے  مُـونج  جَـنيئُـو  سـاجـئـے*


*سَــنڪَـر   سُــوَن   ڪيسـرِي-نـنـدن*

*تـيـج   پـرَتـاپ   مـھـا   جَـگ  وَندَن*


*وِديــاوان    گُـنِــي    اَتِـــي    چـاتُـر*

*رام   ڪـاج   ڪـرِيـبـــے   ڪـو   آتُـر*


*پِـرڀُــو چَرِيتر سُنِـيبــے ڪـو رَسِـيـا*

*رام   لَـکــن   سِـيـتـا   مَـن   بَـسِـيـا*


*سُوکشَم رُوپ ڌَرِي سِيَہ ھِي دِکاوا*

*وِڪَـٽ  رُوپ  ڌَرِي  لَنڪ  جَـــراوا*


*ڀِيـم  رُوپ  ڌَرِي  اَسُـــر  سَـنھـارے*

*رامـچَنـدر  ڪـے   ڪـاج  سَـنوارے*


*لائــے  سَـنجِـيـوَن   لَــکـن  جِـيــايــــے*

*شِــرِي رَگهُـو-وِيـر  ھَـرشِـي اُر لايــــے*


*رَگهُـوپَتِــي  ڪِينھِـي  بَـھُـت  بَڙائِي*

*تُـم  مَـمَ  پِريَہ ڀَرت  ھِـي  سَمَ  ڀائِي*


*سَھَس  بَـدَن  تُمھـرو  جَـس  گـاوَئيں*

*اَس ڪَھِي شِرِي پَتِي ڪَنٺ لَـگاوَئيں*


*سَنَڪ-آدِڪ   بِـرھـم-آدِي   مُنيــسا*

*نــارَد   ســارَد   سَــھِيـت   اَھِـيـسـا*


*جَــم  ڪُـبـيـر  دٍگـپـال  جَـھــاں  تــے*

*ڪَوي ڪوبِد ڪَھِي سَڪےڪَھاں تـے*


*تُـم  اُپڪـار  سُگـرِيـوَ ھِـيـں  ڪِـينھا*

*رام    مِــلايـہ   راج   پَــــد   دِينـھَـــا*


*تُـمـھــرو   مَـنـتــر   وِڀِـيـشَـن   مــانــا*

*لنڪـيـشوَر  ڀَـئــے   سب  جَـگ جـانــا*


*جُـگ  سَـھَـسـتَـر  جـوجَـن  پَـر  ڀانُـو*

*لِيـليـو   تـاھِــي   مَــڌُر   ڦَـل   جانُـو*


*پِـرڀُـو  مُدرِيڪـا  ميلِي  مُـک  ماھِـيں*

*جَلَـڌِي  لانگهِي  گـئـے  اَچـرَج  ناھِـيں*


*دُرگَـم  ڪـاج  جَگـت  ڪــے  جيـتــے*

*سُگَـم   اَنُـوگـرھ   تُـمھـرے   تـیـتــے*


*رام    دُئــارے    تُـــم    رَکـــوارے*

*ھـوت   نہ   آگـيـا   بِـنُ   پَئـسارے*


*سَب  سُـک  لَـھَـئــے  تُمھارِي  سَرنـا*

*تُم  رَکشَـڪ   ڪـاھُـو  ڪــو  ڊَرنـا*


*آپَـن   تـيـج   سَـمــھــارو   آپَــٸـــے*

*تِينُون  لـوڪ  ھانڪتــے  ڪانپَئــے*


*ڀُوت  پِشاچ  نِڪَٽ  نَـھِـيں آوَئـــے*

*مَـھــاوِيـر   جَب   نـامَ   سُـنـاوَئــے*


*نـاسَـئــے  روگ  ھـرَئـــے سَب  پِيـرا*

*جَـپَـت  نِــرَنـتَـر   ھَــنُـومَـت  بِـيـرا*


*سَنڪَٽ  تيں  ھَنُومان  ڇُڙاوَئـــے*

*مَن ڪِرم وَچَن  ڌِيان جـو لاوَئــے*


*سَب   پَـــر   رام  تَـپـســوِي   راجــا*

*تِـن ڪـے  ڪاج  سَڪَل تُـم  ساجـا*


*اؤر  مَنورَٿ  جو  ڪـوئِي  لاوَئـــے*

*سوئِي  اَمِيت  جِيوَن  ڦَل  پاوَئـــے*


*چـارُوں  جُـگ  پَـرتـاب  تُـمھــارا*

*ھَــئــہ  پَـرسِـــڌ  جَـڳـت  اُجـيـارا*


*ساڌُو سَنت ڪـے تُم رَکوارے*

*اَسُــر  نِـڪـنـدَن  رام  دُلارے*


*اَشٽ  سِڌِي  نَئو نِڌِي  ڪے  داتا*

*اَس   وَرَ  دِيــن  جانَڪِــي  مـاتا*


*رام  رَســـايَـن  تُـمـھـرے  پـاسـا*

*سـدا رھـو رَگهُوپَتِـي ڪـے داسـا*


*تُمھرے  ڀَجـن  رام ڪو پاوَئـــے*

*جنم جنم  ڪـے دُک بِسـراوَئـــے*


*اَنت  ڪـال  رَگهُـووَر  پُــر  جائِـي*

*جَھاں جنم ھَـرِي ڀَڪت ڪَھائِـي*


*اؤر   ديــوَتـــا   چِت   نَــہ  ڌَرئِــي*

*ھَنُومَت سيئِـي سَروَ سُک ڪَـرَئِـي*


*سَنڪَٽ ڪَـٽَئـے مِـٽَـئـے سَب  پِيـرا*

*جــو  سُـمـرَئـــے  ھَنُومَت  ٻَـل-بِيرا*


*جَئہ جَئہ جَئہ ھَـنُـومـان گوسائِـیں*

*ڪِرپا ڪَرھُو گُـرُو ديوَ ڪِي نائِـيں*


*جو  شَت  بار  پاٺ  ڪَـر  ڪـوئِي*

*ڇُـوٽھِي  بَندِي  مَھا  سُک  ھـوئِي*


*جـو يَـھـہ پَـڙَھئــے ھَنُومان چالِيسا*

*ھـويَـہ  سِــڌِي  سـاکِـي  گَئـورِيسـا*


*تُلسِـيداس  سَـــدا  ھَـــرِي  چيـرا*

*ڪِيجئے ناٿ ھِرديہ مَـھِـيں ڊيـرا*


_*پَوَن تَنيَہ سَنڪَٽ ھَـرَڻ مَنگَـل مُورتِـي رُوپ*_



_*رام لَکَن سِيتا سَھِيت ھِرديَہ بَسَی سُر ڀُوپ*_


   ۔     *جئہ شِرِي رام*🙏😇

اتوار، 10 ستمبر، 2023

जमीन मैं गड़ा धन देखने का मंत्र

जमीन में गड़ा धन देखने का मंत्र

अगर आप “ ह्रीं पद्मावति देवी त्रैलोक्यवार्ता कथय कथय ह्रीं स्वाहा” मंत्र का रोजाना सोने से पहले एक माला जाप करते है. तो आपको सपने में गड़ा हुआ धन कहा छिपा है. उसकी जानकारी मिल जाएगी.

جمعہ، 1 ستمبر، 2023

Hanuman Zanjira Manter

  • ॐ हनुमान पहलवान पहलवान, बरस बारह का जबान, हाथ में लड्डू मुख में पान, खेल खेल गढ़ लंका के चौगान,अंजनी का पूत, राम का दूत, छिन में कीलौ नौ खंड का भूत, जाग जाग हड़मान (हनुमान) हुंकाला, ताती लोहा लंकाला, शीश जटा डग डेरू उमर गाजे, वज्र की कोठड़ी ब्रज का ताला आगे अर्जुन पीछे भीम, चोर नार चंपे ने सींण, अजरा झरे भरया भरे, ई घट पिंड की रक्षा राजा रामचंद्र जी लक्ष्मण कुंवर हड़मान (हनुमान) करें। * इस मंत्र की प्रतिदिन एक माला जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। हनुमान मंदिर में जाकर साधक गरबत्ती जलाएं। इक्कीसवें दिन उसी मंदिर में एक नारियल व लाल कपड़े की एक ध्वजा चढ़ाएं। जप के बीच होने वाले अलौकिक चमत्कारों का अनुभव करके घबराना नहीं चाहिए। यह मंत्र भूत-प्रेत, डाकिनी-शाकिनी, नजर, टपकार व शरीर की रक्षा के लिए अत्यंत सफल है। (शुद्धता, पवित्रता और एकाग्रता का विशेष ध्यान रखा जाए।.

mohmda veer manter

ये साधना एक सौम्य साधना है!इस साधना में किसी प्रकार की कोई हानि नहीं होती!यदि साधना अधूरी छूट जाये तब भी कोई चिंता की बात नहीं है!यह साधना आपके सभी अच्छे काम कर सकतीहै! यह साधना उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी है जो घर से बहार जाकर साधना नहीं कर सकते!  मेरी अनुभूत साधना है! मन्त्र :- उल्टा तरकश उल्टा तीर  उल्टा चले मोहम्मद वीर  वीर फातमा का बेटा  अस्सी बोतल दारू पिए अस्सी बकरा खाए ढीठ बांधू मुटठ बांधू  तुनैइआ बुनैइआ बांधू  इतना काम मेरा ना करे तो तुझे अपनी माँ का दूध हराम हो! साधना  विधि:- साधना शुक्ल पक्ष के गुरुवार से शुरू करे!११ माला जप करे  २१ दिन करे!  यदि ४१ दिन जप कर ले तो  चौंकी  की सिद्धि हो जाएगी!  हररोज पूजा के बाद एक थाली में कपूर के ऊपर दो लौंग रखकर जला दे,उसी थाली में पांच प्रकार के फूल और पांच प्रकार की मिठाई रख दे एक जायफल काट कर रख दे और सात वार मन्त्र पढ़ कर पानी से थाली के चारों तरफ एक गोला बना दे! प्रयोग विधि:- जब भी पीर से कोई कार्य करवाना हो तो थाली सजाकर......

नरसिंह मंत्र

इस नरसिंह मन्त्र में आपको दो मछलियो की बलि देनी पड़ेगी!  वैसे तो पूर्ण मन्त्र की सिद्धि ४१ दिन की क्रिया हैपर नरसिंह जयंती पर यह मन्त्र एक दिन में ही जागृत हो जाता है पर पूर्ण प्रभाव के लिए ४१ दिन जपना पड़ता हैयदि कोई साधु रम्मत करता हो या प्रतिदिन भस्म रमाता हो तो उसे यह सिद्धि एक ही दिन में मिल जाती है!  इस मन्त्र में  भगवान नरसिंह स्वयं आते है और प्रत्यक्ष दर्शन देते है!  मन्त्र इस प्रकार है!

मन्त्र::-
 नमो आदेश श्री गुरूजी को!
नरसिंह वीर महा बलवीर
मारे वैरी पकड़ के सिर
मेरा भेजा जाये कहा काम करके आये
 आये तो द्वादश ज्योतिर्लिंग तोडके आये!
मेरा भेजा पीछे मुड़े तो मुड मेरा कम सवारे
बिना काम किये आये तो भक्त प्रह्लाद का कलेजा खाए!
मेरा बुलाया  आये तो शिवजी का तीजा नेत्र फोडके आये
शीघ्र आव नरसिंह महाराज ना आओ तो शर्भेश्वर देव के लाज!
चले मन्त्र फुरे वाचा देखां नरसिंह देव तेरे ईलम का तमाशा!
दुहाई गुरु गोरखनाथ की!