ہفتہ، 18 مارچ، 2023

Gorkh phitkaar

श्री गोरक्ष फ़टकार मंत्र सतनमो आदेश।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी उत्तर दिशा में श्री सदाशिव शम्भुजती गुरु गोरक्ष नाथ खड़ा।कानों कुण्डल काँधे झोली माथे चन्द्रमा सिर जटा।पगां खड़ाऊ गले रुद्राक्ष माला भगवा भेष हाथ खप्पर त्रिशूल चिमटा।गुरु गोरक्ष नाथ माया मछिन्द्रनाथ का चेला।जति सती की षटक्रिया देखें।तो सिद्धों के संग रहें।नहीं तो मढ़ी मसाण में फिरें अकेला। गुरु गोरक्ष नाथ हुंकारता आया।गाजता आया।घोरता आया।सिर की जटा बखेरता आया।और की चौकी उखाड़ता आया।अपनी चौकी बिठाता आया।और का किवाड़ तोड़ता आया।अपना किवाड़ भेड़ता आया।गौरी नन्द गणेश को उठाकर लाया।काली पुत्र काल भैरव को जगा कर लाया।अंजनी सुत हनुमान को पकड़ कर लाया।हज़रत मुहम्मद साहब को बाँध कर लाया। गुरु गोरक्षनाथ जी तुम्हारा जोग इक्कीस ब्रम्हाण्ड में बड़ा अपार।देव दानव तुम्हारें जोग से नवखण्ड धरती छोड़ भाग जाये पाताल।नगर -खेड़ा बस्ती गाँव के देवी- देवता थर्र थर्राये।सुलेमान पीर ,कमाल खां पठान औऱ मुल्ला मौलवी काजी तुर्क तो मक्का मदीना छोड़ पाताल में घुस जाये।ब्रम्ह हत्या और मुआ मुर्दा जलती चिता छोड़ धरती में धँस जाये।भूत प्रेत जिन्द औऱ राक्षस पिशाच घर बार छोड़ मढ़ी मसाण चौपटा में जाकर सो जाये।डाकिनी शाकिनी औऱ भूतनी प्रेतनी घट पिण्ड को त्याग बारह कोस दूर भाग जाये।बाँधी बाँधी।किस किस को बाँधी।देव दानव को बाँधी।उड़न्त गढ़न्त योगिनी महामारी चुड़ैल को बाँधी।हाट को बाँधी।घाट को बाँधी।मरघट को बाँधी।बाँधी बाँधी रे गढ़ गिरिनार के गुरु गोरक्ष नाथ पीर।संग चलें तेरें नवनाथ चौरासी सिद्ध औऱ बारह पंथो के बारह पीर।गुरु गोरक्ष नाथ आये।गुरु गोरक्ष नाथ जाये।गुरु गोरक्ष नाथ महादेव जी की डिब्बी में जाय समाये।गोरक्ष डिब्बी महादेव जी के पास पड़ी मढ़ी मसाण।महादेव जी ने गोरक्ष डिब्बी दीन्हीं गुरु के हाथ।गुरु ने गोरक्ष डिब्बी दीन्हीं हमारे हाथ। गोरक्ष डिब्बी जहाँ खाई वहाँ दबी।गोरक्ष डिब्बी गोरक्ष फ़टकार।पढ़कर मारूँ मंगलवार।काले उड़द गौरी राई।चौराहे की मिट्टी मढ़ी मसाण की विभुति माई।जिसको ये लगे वो कूदे नो नो ताल।जो नहीं लगे तो माया मछिन्द्रनाथ की करोड़ करोड़ दुहाई।अन्न जल को तरस जाये।गोबर खाये।विष्टा खाये।नीचे सिर ऊपर पैर कर कपड़े फाड़ जंगल में भाग जाये।फिर कर कभी नहीं देखें घर बार।भरमता फिरें दसों द्वार।शब्द साँचा पिण्ड काँचा।फुरे मन्त्र ईश्वर महादेव तेरी वाचा फिरें।घट पिण्ड की रक्षा श्री त्रिपुर बाला सुन्दरी माई करें।इतना गोरक्ष फ़टकार मन्त्र जाप सम्पूर्ण भया।गोरक्ष टिल्ले पर गादी बैठ राजा भृतहरि ने राजा गोपीचन्द को पढ़ कथ कर सुनाया।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश।

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