بدھ، 12 فروری، 2025

बलवान शत्रु को पैरों में गिराने का मन्त्र -

बलवान शत्रु को पैरों में गिराने का मन्त्र -

ॐ नमो कुड़न्त डफडलडु, एकला में वीर हनुमन्त का चेला, पकड़-पकड़ पछाडूं, मस्तक फोडूं, सवा मण की जंजीर जड़ाऊँ (अमुक) आन मेरे पगे पड़े न आन पड़े तो माता अंजनी का दूथ हराम करे, गुरु की शक्ति, मेरी भक्ति, फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।

इस मन्त्र की ताकत से शक्तिशाली शत्रु भी पैरों में आकर गिरता है।

शत्रु-उच्चाटन -

ॐ नमो क्षेत्रपाल विकराला मम शत्रु उच्चाटय-उच्चाटय हुं फट् स्वाहा ।

यह मन्त्र 108 बार बोलकर चावल मन्त्रितकर शत्रु के घर के बीच में फेंक दे। फेंकने के साथ ही शत्रु के घर के सभी लोगों का उच्चाटन हो जाएगा। यह सत्य सिद्ध मन्त्र है।

* शत्रु-परिवार का उच्चाटन -

ॐ नमो भगवते रुद्राय दण्ड करालाय अमुकं सपुत्र बान्धवैः सह हन हन, दह- दह, पच-पच, शीघ्रं उच्चाटय-उच्चाटय हुं फट् स्वाहा ठः ठः ठः ।

नीमपत्र पर शत्रु का नाम लिखकर दस हजार मन्त्रों की आहुति दें। शत्रु के सम्पूर्ण परिवार में उच्चाटन हो जायेगा।

(9) मारण-मन्त्र-

जिस प्रयोग के द्वारा जीवमात्र की मृत्यु हो जाती है, उसको 'मारण-कर्म' कहते हैं। मारण मन्त्रों की स्वामिनी श्री भद्रकाली देवी हैं। इसका वास अग्निकोण में है तथा

प्रेमिका (पत्नी) को वशीभूत करने का मन्त्र -

प्रेमिका (पत्नी) को वशीभूत करने का मन्त्र -

ॐ शिवे भगवे भगे-भगे भगं, क्षोभय-क्षोभय, मोहय-मोहय, छादय-छादय, क्लेदय-क्लेदय कलीं शरीरे ॐ फट् स्वाहा ।

यह मन्त्र एकान्त में जिस स्त्री की फोटो के सामने 108 बार पढ़ा जायेगा, वह युवती कामविह्वला होकर चरणों में दौड़ी चली आयेगी। यदि सात दिन तक सोते समय बराबर, प्रयोग किया जाये तो अभीष्ट स्त्री कामातुर होकर रात्रि में सेज पर आवेगी। ध्यान रहे, इस मन्त्र से गलत कार्य न करें वरना इसका परिणाम साधक पर बहुत बुरा होता है।