ہفتہ، 18 فروری، 2023

10 महाविद्या का मंत्र -6

षष्टम् ज्योति भैरवी प्रगटी |
(भैरवी)
ॐ सती भैरवी भैरो काल यम जाने यम भूपाल तीन नेत्र तारा त्रिकुटी, गले में माला मुण्डन की | अभय मुद्रा पीये रुधिर नाशवन्ती ! काला खप्पर हाथ खन्जर, कालापीर धर्म धूप खेवन्ते वासना गई सातवे पाताल, सातवे पाताल मध्ये परमतत्व परमतत्व में जोत, जोत में परम जोत, परम जोत में भई उत्पन्न काल भैरवी, त्रिपुर भैरवी, समपत प्रदा भैरवी, कैलेश भैरवी, सिद्धा भैरवी, विध्वंसिनि भैरवी, चैतन्य भैरवी, कामेश्वरी भैरवी, षटकुटा भैरवी, नित्या भैरवी | जपा अजपा गोरक्ष जपन्ती यही मंत्र मत्स्येन्द्रनाथ जी को सदा शिव ने कहायी | ऋद्ध फूरो सिद्ध फूरो सत श्री शम्भुजती गुरु गोरक्षनाथ जी अनन्त कोटि सिद्धा ले उतरेगी काल के पार, भैरवी भैरवी खड़ी जिन शीश पर, दूर हाटे काल जन्जाल भैरवी अमंत्र बैकुण्ठ वासा | अमर लोक में हुवा निवासा |
"ॐ हस्त्रो हस्कलरो हस्त्रो:" |

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