नाथ पंथ की गायत्री मंत्र6
गुरुजी ओउम जपो तपो श्री अमृत बाला।उपज्या अमृत सुन्दरी बाला।आओ चन्द्र बरसाओ अमृत नूर।ध्यान देश में योगी अवधूत।गतगंगा यमुना बाई।बाला सरस्वती शक्ति उपाई।शिव शक्ति मिल पँथ चलाया।नाद बिन्द का अमिरस प्याला।अमर बीज अमर काया।रती तोल नेत्र अंजनी बाला।उठो नारायणी सींचो अमिरस।अवधूत योगी भोगे अहिंरस।सूर्य चन्द्र भरते सांख।राख राख श्री सदाशिव शम्भुजती गुरु गोरक्ष नाथ जी राख।आते यमराज को मार।उड़ते प्राण को राख।गलते हाड़ चाम की काया को राख।अघोर पिण्ड पड़न्ता राख।गतगंगा जायके अनभय प्रकाश।ॐ अमृत हुक्म जापाय विदमहे महाअमृत बाला धीमही तन्नो अमृत बाला प्रचोदयात।इतना अमृत बाला गायत्री मंत्र जाप सम्पूर्ण भया।माया मछिन्द्रनाथ जी की मण्डली में अवधूत दत्तात्रेय नाथजी ने राजा गोपीचन्द राजा भृतहरि को कान में सुनाया।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश।
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