بدھ، 1 فروری، 2023

अमर गायत्री मंत्र

सतनमो आदेश।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी अक्षय पिण्ड अमर काया।अमर गायत्री मंत्र जाप जोगी की चार जुगों से माया।अमर घोड़ा अमर माली सिंचनहार।कहे गुरु गोरक्षनाथ सुनो गोपीचन्द भृतहरि।अमर गायत्री मंत्र की राखें आस।मरें नही पिण्ड गलें नही हाड़ नहीं जाये स्वास।अमर गायत्री मंत्र की क्रिया करें।वो योगी मुआ मुर्दा सरजीवन करें।पड़े नहीं पिण्ड मरें नही हाड़ चाम ओर पवन पानी की काया।सतगुरु प्रताप ह्रदय बीच समाया।ज्योति में ज्योति मिलाया।टीप तो टीकाजी राखें काल भैरव राखें कपाल।भृकुटी तो भद्रकाली राखें हथेली राखें हनुमान।नाभि तो राखें ब्रम्हा जी गुदा राखें गणेश।कण्ठ राखें शारदा नाक तो राखें वासुदेव नारायण मस्तक राखें महेश।इतना अमर गायत्री मंत्र जाप सम्पूर्ण भया।सिद्ध ज्वालेन्द्र नाथ जी मण्डली में श्री सदाशिव शम्भुजती गुरु गोरक्ष नाथजी ने राजा गोपीचन्द राजा भृतहरि को कान में सुनाया।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश।

کوئی تبصرے نہیں:

ایک تبصرہ شائع کریں