پیر، 25 ستمبر، 2023

समाधि गायत्री मंत्र

सिद्ध सम्प्रदाय में ‘योगी’ (नाथ) संप्रदाय की ही तरह समाधि देने और समाधि देते समय समाधि गायत्री के पाठ का नियम है। समाधि गायत्री सुना कर समाधि के बाद नारायण बलि, गंगा में अस्थि विसर्जन जैसे कर्मकांडों की जरूरत नहीं रहती, प्राणी स्वतः ही मुक्ति हो जाती है। सिद्ध सम्प्रदाय में प्रचलित समाधि गायत्री में गोरखनाथजी रचित गायत्री से थोड़ी भिन्नता हो सकती है, अलग अलग गांवों में एकाध शब्द के उच्चारण में भिन्नता हो सकती है लेकिन सनातन धर्म की गोरखपंथी शाखा के सभी संप्रदायों में किंचित फेर बदल के साथ यही गायत्री पढ़ी सुनाई जाती है। इस गायत्री को टाइप करते समय या वाक्य विन्यास में कोई गलती रही गई हो तो sateramdass@gmail.com पर ईमेल करें।


प्रथम धरती द्वितीय आकाश

शत-शत तीनो लोक में वास

चौथे किया कंचन पैदाश

पांचवे धर्म गुसाईं चरण पादुका ब्रह्म छेद

ॐ नमो आदेश गुरु ने।

गुरु तो वन खण्ड पीर कुवाया

तपो वरणी जीव कुवाया

मन उदास भागा

यम लोक सूं जाय आगा।

समाधि गुफा होव एती,

साढ़े तीन हाथ होव जेती।

ब्रह्मा ओडी, विष्णु कुदाली

ईशर गंवरा माटी डाली

हाड गळे हिंगलाज लाजै

मांस गळे मछंदर लाजै

परलै जाय तो सतगुरु लाजै।

सुरनर तो ध्यान करे नर सोई

धरती माता प्रसन्न होई

तेरी काया तेरी माया

तेरा ही था तुझी में समाया।

कहे महादेव सुन पार्वती

एती पढ़ो नित पठी

प्राणी का पाप जाय,

भव भव प्रलय गति।

समाधि बुध भई, महा समाधियां श्री।

परम जोत में तन विश्व किण गुरु से।

अपनी माता नुगरां को मारती,

काया का कलंक निवारती।

राजा इंद्र को श्राप डालती।

खेचरी भूचरी चाचरी

अगोचरी अगमनी पांचों मुद्रा।

पढ़ते पढ़ावते सुनावते

मोक्ष मुक्ति फल पावते

वासा मेरा हंसा प्राणी

पिंडरायां को क्यूं जपो प्राणी

दोजख री विषय मुल्ला सुल्ला

तो सन्मुख नासिका सुरसती।

एती माता अघोर पाप टालती

गुरु हत्या, स्त्री हत्या, पग पग जीव हत्या

बाल हत्या, ब्रह्म हत्या, सर्व हत्या का दोष

माता गायत्री टालती।

सीड़ा भीड़ा को ले तिरणी

किण गुरु से अपनी माता

ॐ नमो स्तुते श्री, पाप से टालती

पढ़ते पढ़ावते मोक्ष मुक्ति फल पावते


समाध गायत्री का जाप सम्पूर्ण भया

अनंत करोड़ नव नाथ चौरासी सिद्धों में

श्री गोरखनाथजी जसनाथजी ने कहा।

ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।

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