धरती माई से भूमि दान माँगने का मन्त्र
सतनमो आदेश।श्रीनाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी उत्तम धरती माई मध्यम कांया।जागो चण्डी देवी योगेश्वर कर्म को आया।मैं बालक तूं मेरी माई।धरती माई आपका थोड़ा अंग दान देकर करो सहाई।साड़े तीन हाथ भूमि दे दो मेरी माई।सिद्ध साधक को अपनी भूमि में ले लो समाई।इतना धरती माई से भूमि दान माँगने का मन्त्र जाप सम्पूर्ण भया।शून्य की गादी बैठ अवधूत दत्तात्रेय नाथजी ने आपो आप सुनाया।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश।
धरती पर चौका लगाने का मन्त्र
सतनमो आदेश।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी गौबर माटी गंगा का नीर।नवखण्ड धरती के चौका लगावें हनुमन्त वीर।गौरां पार्वती माई बने कुंकुम चन्दन चौक पुराया।उत्तम हुई नवखण्ड धरती माई महादेव जी ने ध्यान लगाया।कीड़ी मकोड़ी जीव जन्तु निकट नहीं आवें।सारे क्लेश कण्टक दूर भग जावें।इतना धरती पर चौका लगाने का मन्त्र सम्पूर्ण भया।शून्य की गादी बैठ अवधूत दत्तात्रेय नाथजी ने आपो आप सुनाया।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश।
आसन पर बैठने का मन्त्र
सतनमो आदेश।श्रीनाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी सत की धरती सत की माया।सत का आसन सत की काया।सत नाम अमर की छायां।वहाँ पर देहीं ने विश्राम पाया।आसन बैठ शून्य समाधि में बैठकर स्वर्ग लोक को सिधाया।जन्म मरण में कभी नहीं आया।आसन लगाया गुरु गोरक्ष नाथजी आप।असँख्य जुगों का कट गया पाप।आसन पर बैठने का मन्त्र जाप सम्पूर्ण भया।शून्य की गादी बैठ अवधूत दत्तात्रेय नाथजी ने आपो आप सुनाया।श्रीनाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश।
स्नान करने का मन्त्र
सतनमो आदेश।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी सत ओर धर्म का अलील वीर।संग मिलाया गंगा नीर।निकलंक नीर निर्वाण।बैकुण्ठ लोक में वासा दीजे।शिव पूजू शक्ति पुजू और पूजू भेंक भगवान।पंचदेव आज्ञा करें तो धर्म जल से करूँ स्नान।स्नान कर जोगी ध्यान लगावें।गर्भवास में फिर नहीं आवें।पड़े नहीं पिण्ड काल कण्टक आवें नही पास।उसका सीधा शिवपुरी में वास।स्नान मन्त्र पढ़ करें स्नान।दया धर्म से रहे तो काया हो जावें गुरू गोरक्ष नाथजी समान।इतना स्नान मन्त्र जाप सम्पूर्ण भया।शून्य की गादी बैठ अवधूत दत्तात्रेय नाथजी ने आपो आप सुनाया।श्रीनाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश।
वस्त्र धारण करने का मन्त्र
सतनमो आदेश।श्रीनाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी गेरू पानी उजला अंचला निर्मल भगवा भेंष। सप्त शब्द शोध कर सतगुरु दिया उपदेश।सत का मार्ग स्वर्ग का और कुछ नहीं शेष।पहन भगवा बाना और श्वेतांबर पीतांबर दिगम्बर सिद्ध साधक चालिया अलख पुरुष के देश।इतना वस्त्र पहनने का मन्त्र जाप सम्पूर्ण भया।शुन्य की गादी बैठ अवधूत दत्तात्रेय नाथजी ने आपो आप सुनाया।श्रीनाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश।
کوئی تبصرے نہیں:
ایک تبصرہ شائع کریں