پیر، 26 فروری، 2024

सरभंग गायत्री मंत्र

चतुर्थ/सरभंग गायत्री मंत्र

सतनमो आदेश।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी काला घोड़ा काला पलान।जिस पर चढ़े सुलेमान पठान।कौन हिन्दू कौन मुसलमान।कौन का बांध्या जमीन और आसमान।तारिया सतगुरु जागिया मुआ मुर्दा औऱ चौपटा मढ़ी मसान।में सैंया बाबा रहमान।तले धरती धीर धरावै।ऊपर अम्बर सकल पर सोहे।सरभंग पुनः सकल पर ब्यापै।सरभंग इन सकल पर गाजै।चन्द्र सरभंग सकल पर ब्यापै।सरभंग सूर्य की किरण चंद्रमा की ज्योति।मैं सरभंगी चारो वर्ण ओर डाकिनियों का संगी।पापी पाखंडी और दुराचारी को राह बताऊं।सारे जगत को भेद बताऊंगा।मैं औघड़ का चेला।नवखण्ड पृथ्वी पर रम्मत करूँ अकेला।नहीं मैं किसी को भी शीश नवाऊँगा।ऊंचा नीचा राजा पकड़ू एक ही प्याला पिलाऊंगा।पात्र कर पवित्र कर लूं।भ्रांति कभी ना ल्याऊंगा।मैं भटियारी।कामणगारी।कामनिगारी।घर घर लाय लग्यादू न्यारी न्यारी।कामण टूमण करूँ सनेवा।राखूं बरसता मेहवा।शिखर छोड़ दूयूं पाणी।पड़ता कबहुँ न मागे पाणी।जोर करें जाने न दू।इंद्री पकड़ निवाऊँगा।तले को आकाश।ऊपर को धरती माई।उलटी राह चलाऊंगा।राजा को करदयूं काला मेंढा।हाकिम करदूयूँ भैसा।नवनाथ चौरासी सिद्ध बारह पंथियों में बोलूं ऊँचा ऊँचा।क्या त्यागी।क्या बैरागी।क्या सन्यासी।क्या सेवड़ा भोपा भरड़ा भांड।इतने को मूंड माई।मच्छेरी का माथा मुण्ड।मच्छेरण्डी का मुण्ड माथा।मत बांध कुड़ कपट का गाथा।जोगी बड़ा जुगति के मांही।भीतर धरिया ध्यान।जोग सर नख करदूयूँ न्यारा न्यारा।उलटा चरखा चलाऊंगा।उलटा साद समेंटू वाणी।गुरु गोरक्ष नाथजी बोल्या उलटी वाणी।कुँवे ऊपर चादर तानी।मढ़ी मसाण में धूणी घालु।आसन डालूँ डेरा।जगत बुलाऊँ डेरे।हरी लीरी।बावन भैरव चौसठ योगिनी छप्पन कलुआ सवालाख भुतावली सात कामणगारी नो नाहर सिंह।सात बायाँ बीच भायेली वाही म्हारी दासी।उठ मुठ कामण करतूत छल छत्तर धक्का धूम।भूत प्रेत शैतान जिन्द कसाई काचिया मसाण।जलोटिया फलोटिया।चुड़ैल पिशाचिनी मेहतरानी।नजर टपकार। जोगनी तुर्कनी चमारी धोबिन तेलिन।छत्तीस रोग ओर बहत्तर बला बांध बांध कर जल्दी जल्दी लाय।मेरा हकाला कारज सिद्ध नहीं करे तो राजा रामचन्द्र जी लक्ष्मण जति सती सीता माई की करोड़ करोड़ दुहाई फिरे।थल सोधु ओर आसन सोधु सोधु तीजी ताली।इतरे में अटकाऊँ नाड़ा।कदेई न निकले बाला।सूखा छोड़ गर्भ में राखें।तीजी घड़ी बड़ाऊँ बाला।धीरो करो अपचार चलाऊँ।आखर आगे चले ना पाखर।मारूँ मेंख वज्जर की टक्कर।मन्त्र उड़द का गोला बाऊं।पत्थर फोड़ के उड़ाऊँ।सिद्धाई का मुण्डा पकड़ ठोक दूयूँ धड़ के मांही।टिकालिया मसाण की छाईं।लागे फक्कड़ की टक्कर।जंगीसा बादशाह होज्या सुख साख लक्कड़। गुरु गोरक्षनाथ के गोपीचन्द भृतहरि दोऊँ चेले।गढ़ गिरिनार में तपे अकेले।गोपीचन्द और भृतहरि चेतावे चण्डी माई।बंगाल खण्ड कामरू देश से चली चण्डी माई। चण्डी माई हाथों में कंगन काली जटा।माथे सिन्दूर गलें नर मुंडो की माला।चण्डी माई नृत्य करें मढ़ी मसाण चौपटा।चल चल चण्डी माई।नहीं चले तो चरपटी नाथ जी लाख लाख दुहाई।आओ चण्डी माई। उखाड़ो दुश्मन की भुजा।काटो काल की मुण्डी।यमदूतों के पाँवों में डालो बेड़ी।चण्डी चण्डी ।फिरे नवखण्डी।इतना सरभंग गायत्री मंत्र जाप सम्पूर्ण भया।गढ़ गिरिनार की शिला पर सिद्धासन बैठ माया मछिन्द्र नाथ जी ने गुरु गोरक्ष नाथ जी को कान में सुनाया।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश।

श्री श्री १००८

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