پیر، 26 فروری، 2024

चौदहवीं/अघोर गायत्री मंत्र

चौदहवीं/अघोर गायत्री मंत्र

सतनमो आदेश।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी ओउमकार ओउमकार में ब्रम्हा विष्णु महेश।ब्रम्हा विष्णु महेश में पंच तत्व।पंच तत्व की उत्पन्नी काया।काया में प्रगटी ज्योति।ज्योति में जागी प्रेम ज्योति।प्रेम ज्योति को प्रथम गौरां पार्वती देवी ने उपजाया।आचार विचार कर सरस्वती देवी ने अघोर रचाया।अघोर अघोर महाअघोर।गणेश जी का गजमुख वो भी अघोर।ब्रम्हा जी का कमण्डल वो भी अघोर।विष्णु जी का सुदर्शन चक्र वो भी अघोर।महादेव जी का त्रिशुल वो भी अघोर।कालिका देवी का नृत्य वो भी अघोर।माता अनुसुइया का सतीत्व वो भी अघोर।त्वष्टा ऋषि का यज्ञपुत्र त्रिशरा वो भी अघोर।पवन देव की गति वो भी अघोर। कामदेव की रति वो भी अघोर।नर और नारायण की उर्वशी अप्सरा वो भी अघोर।नारी ओर नर का समागम वो भी अघोर।नारी का भग वो भी अघोर।पुरुष का लिंग वो भी अघोर।भग में लिंग वो भी अघोर।भग में रज वो भी अघोर।लिंग में बिन्द वो भी अघोर।रज बिन्द का पिण्ड वो भी अघोर।कहे सिद्ध कानिफा नाथ सुनो रानी मैंनावन्ती अघोर में अघोर ब्रम्हा जी ने मिलाया।तब नर नारी उपजाया।अघोर गुदा में रहे मस्तक बसे महेश।सुपारी में गणेश विराजै काल भैरव बसे मढ़ी मसान हमेश।गुरु गोरक्षनाथ का चेला भृतहरि तन वश में कर, बांधे घट में मन की लँगोट।काम क्रोध नहीं उपजै काया में, नहीं लागे पिण्ड में काल और दुश्मन की चोट।गौरां पार्वती देवी अघोर गायत्री मंत्र का जप करें।तो शिव के ह्रदय में स्थान मिलें।अघोर गायत्री जरें अज़रा जरें।पीओ वहाँ अमृत का प्याला।अभय मण्डल में सती वाचा।हम को तार।इस जीव के पाप संहार।कुंडे को सुधार।कुंडे में अट्ठारह भार वनस्पति पंच मुद्रा श्रीफल ले के स्थापना की।लक्ष्मण जति उठाया श्रीफल श्रीफल पर सिन्दूर।सिन्दूर चढ़ाया सती सीता माई।सीता माई के सत से रामचन्द्र जी ने अहिल्या उद्धारी।विश्वामित्र ऋषि ने अगम लोक से अघोर गायत्री उतारी।अघोर गायत्री तु तारणी तु तारती।चाचरी भूचरी।खेचरी अगोचरी उन्मुनी।वो निजिया धर्म पद की।रावण नाथ की ।अघोर गायत्री चलें।लंका जरें।भग जरें।रज जरें।लिंग जरें।बिन्द जरें।उसकी रक्षा अलख अविनाशी गुरु गोरक्षनाथ जी करें।गो हत्या,बाल हत्या,स्त्री हत्या,मोर हत्या चोर हत्या ये पंच हत्या टलें।नवखण्ड धरती माई पे लगे जीव को पंच दोष।पितृ दोष,काल सर्प दोष,ग्रह दोष,घृणा दोष,निन्दा दोष।इतने पंच दोष को दूर नहीं करें ।तो माया मछिन्द्र नाथ की करोड़ करोड़ दुहाई फिरें।।अघोर गायत्री ही अलख पुरुष का नाम।जहाँ ज्योति वहाँ परमज्योति।जहाँ परमज्योति वहाँ अलख पुरुष का वासा।अलख पुरुष की जपो अघोर गायत्री टलें काल का पांसा।अलख पुरुष का प्रेम से प्याला पिया।तो प्रचण्ड पाप परले हुआ।मढ़ी मसान का मुआ मुर्दा अघोर गायत्री मंत्र से सरजीवन हुआ।ॐ अघोराय विदमहे महाअघोराय धीमहि तन्नो अघोराय प्रचोदयात।इतना अघोर गायत्री मंत्र सम्पूर्ण भया।कामरूदेश की कामाक्षा देवी शक्ति पीठ में बैठ कर सिद्ध कानिफा नाथ जी ने राणी मैंनावन्ती को पढ़ कथ कर सुनाया।श्री नाथजी गुरूजी को आदेश।आदेश।आदेश।

श्री श्री १००८ 

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