پیر، 4 مارچ، 2024

रक्षा मन्त्र(1)

रक्षा मन्त्र

ॐ सत नमो आदेश। गुरुजी को आदेश । ॐ गुरुजी। अलख अलख जी हंस बैठा, प्राण पिण्ड वज्र का कोठा। वज्र का पिण्ड, वज्र का हंस, वज्र भयो दशो दरवेस । गुरु मन्त्र से मन बान्धो, तन्त्र शक्ति से तन। चार खानी की जड़ बान्धो चार बानी को बन्ध, कमलारानी कमल रखे, जोत जगाय जोगन। चन्दसूर दो तन प्रकाश, बुद्ध राखे गणेश। चार जुग जोत जगाय गोरख किये अलख । अर्बद-नर्बद आकाश बान्धो, सात समन्दर पाताल बान्धों, बान्धो नव खूट की धरती। हात अस्त्र फास लिया, तिर तिरकस बान लिया। दसम दिशा कु राखी । हस्तक ले मस्तक ले कर मे अंकुश काल। दिन राती अखण्ड बाती करी रक्षा दसो कोतवाल

वज्र का द्वार, वज्र कवाड, वज्र बान्धो मकान। पल पल पल्लु राखी वज्र बाला, ना राखी तो माता गौरया की आन। काशी कोतवाल भैरुनाथ भरे धर्म की साख, टैल टैलुवा, तेल तैलुवा ज्योत जगी अन्त प्रकाश। सौ योजन आगे पाछे, सौ योजन उपर निचे, सौ योजन दाये बाये, सौ सौ योजन ज्योत प्रकाश। उठो हनुमान करो हुंकार राम नाम का झन्कार, आते की सिमा बान्ध जाते की सिमा बान्ध ना बान्धे तो प्रभु रामचन्द्र की आन । राम का

बान चले, चले लक्ष्मण तीर, चौसट जोगन पाट राखे सात समुन्दर नीर। जल बान्धो थल बान्धो, बान्धो सकल संसार । तेज बान्धो तपन बान्धो, बान्धो सकल जंजाल। आटे-घाटे खप्पर जागे, ज्वाला माई कि जोत। काली कराली खन्जर चले नरसिंग करी चोट । भूत कू प्रेत कू भस्म कर भस्म भये पिशाच । दुष्ट को मुष्ठ करे, दैत्य दानव नष्ट करे नष्ट भये शमशान। अलख पुरुष ने हुकम चलायां चल भस्मी माता राख, राख, जती सती को रख पापी पाखण्डी को भख हमको रख दुष्ट को भख । गुरु की शक्ति मेरी भक्ति फुरो मन्त्र वाचा, ॐ फट् स्वाहा। श्री नाथजी गुरुजी को आदेश ।


उपरोक्त मन्त्र से भभूती बनाके सभी दिशा को फेंकें या सभी दिशा को चुटकी बजाके मन्त्र कहें। यह मन्त्र स्वरक्षा एवं स्थान रक्षा के लिए प्रयोग कर सकते हैं। जिसमें साबुत उड़द का प्रयोग करें।


[ विशेषः- बाहरी बाधा, भूत प्रेत आदि तथा दुष्ट विद्याओं से स्वयं खुदकी तथा स्थान की सुरक्षा अवश्य होगी। होली, अमावस्या, दिवाली, नवरात्र तथा ग्रहण काल में १०८ बार जप करने पर तथा रोट, हलवा, ५ बुन्दी के लड्डु का भोग लगावें। लंगोट वाला वस्त्र, लाल वस्त्र, पीतवस्त्र सवा-सवा मीटर चढ़ावें। पंचोपचारे पूजन करें। मन्त्र सिद्ध हो जायेगा।]

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