منگل، 7 جنوری، 2025

श्री गोरक्ष फ़टकार मंत्र

Gorkh phitkaar
JaiRamJaani - 19/03/2023

श्री गोरक्ष फ़टकार मंत्र सतनमो आदेश।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी उत्तर दिशा में श्री सदाशिव शम्भुजती गुरु गोरक्ष नाथ खड़ा।कानों कुण्डल काँधे झोली माथे चन्द्रमा सिर जटा।पगां खड़ाऊ गले रुद्राक्ष माला भगवा भेष हाथ खप्पर त्रिशूल चिमटा।गुरु गोरक्ष नाथ माया मछिन्द्रनाथ का चेला।जति सती की षटक्रिया देखें।तो सिद्धों के संग रहें।नहीं तो मढ़ी मसाण में फिरें अकेला। गुरु गोरक्ष नाथ हुंकारता आया।गाजता आया।घोरता आया।सिर की जटा बखेरता आया।और की चौकी उखाड़ता आया।अपनी चौकी बिठाता आया।और का किवाड़ तोड़ता आया।अपना किवाड़ भेड़ता आया।गौरी नन्द गणेश को उठाकर लाया।काली पुत्र काल भैरव को जगा कर लाया।अंजनी सुत हनुमान को पकड़ कर लाया।हज़रत मुहम्मद साहब को बाँध कर लाया। गुरु गोरक्षनाथ जी तुम्हारा जोग इक्कीस ब्रम्हाण्ड में बड़ा अपार।देव दानव तुम्हारें जोग से नवखण्ड धरती छोड़ भाग जाये पाताल।नगर -खेड़ा बस्ती गाँव के देवी- देवता थर्र थर्राये।सुलेमान पीर ,कमाल खां पठान औऱ मुल्ला मौलवी काजी तुर्क तो मक्का मदीना छोड़ पाताल में घुस जाये।ब्रम्ह हत्या और मुआ मुर्दा जलती चिता छोड़ धरती में धँस जाये।भूत प्रेत जिन्द औऱ राक्षस पिशाच घर बार छोड़ मढ़ी मसाण चौपटा में जाकर सो जाये।डाकिनी शाकिनी औऱ भूतनी प्रेतनी घट पिण्ड को त्याग बारह कोस दूर भाग जाये।बाँधी बाँधी।किस किस को बाँधी।देव दानव को बाँधी।उड़न्त गढ़न्त योगिनी महामारी चुड़ैल को बाँधी।हाट को बाँधी।घाट को बाँधी।मरघट को बाँधी।बाँधी बाँधी रे गढ़ गिरिनार के गुरु गोरक्ष नाथ पीर।संग चलें तेरें नवनाथ चौरासी सिद्ध औऱ बारह पंथो के बारह पीर।गुरु गोरक्ष नाथ आये।गुरु गोरक्ष नाथ जाये।गुरु गोरक्ष नाथ महादेव जी की डिब्बी में जाय समाये।गोरक्ष डिब्बी महादेव जी के पास पड़ी मढ़ी मसाण।महादेव जी ने गोरक्ष डिब्बी दीन्हीं गुरु के हाथ।गुरु ने गोरक्ष डिब्बी दीन्हीं हमारे हाथ। गोरक्ष डिब्बी जहाँ खाई वहाँ दबी।गोरक्ष डिब्बी गोरक्ष फ़टकार।पढ़कर मारूँ मंगलवार।काले उड़द गौरी राई।चौराहे की मिट्टी मढ़ी मसाण की विभुति माई।जिसको ये लगे वो कूदे नो नो ताल।जो नहीं लगे तो माया मछिन्द्रनाथ की करोड़ करोड़ दुहाई।अन्न जल को तरस जाये।गोबर खाये।विष्टा खाये।नीचे सिर ऊपर पैर कर कपड़े फाड़ जंगल में भाग जाये।फिर कर कभी नहीं देखें घर बार।भरमता फिरें दसों द्वार।शब्द साँचा पिण्ड काँचा।फुरे मन्त्र ईश्वर महादेव तेरी वाचा फिरें।घट पिण्ड की रक्षा श्री त्रिपुर बाला सुन्दरी माई करें।इतना गोरक्ष फ़टकार मन्त्र जाप सम्पूर्ण भया।गोरक्ष टिल्ले पर गादी बैठ राजा भृतहरि ने राजा गोपीचन्द को पढ़ कथ कर सुनाया।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश।

بدھ، 1 جنوری، 2025

अथ बगलामुखीमालामन्त्रः

॥ अथ बगलामुखीमालामन्त्रः ॥

॥ ॐ नमो भगवति ॐ नमो वीरप्रतापविजयभगवति बगलामुखि मम सर्वनिन्दकानां सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय ब्राह्मीं मुद्रय मुद्रय बुद्धिं विनाशय विनाशय अपरबुद्धिं कुरु कुरु आत्मविरोधिनां शत्रुणां शिरो - ललाट - मुख - नेत्र - कर्ण नासिकोरू - पद - अणुरेणु - दन्तोष्ठ - जिह्वा - तालु - गुह्य - गुद - कटि - जानु सर्वाङ्गेषु केशादिपादपर्यन्तं पादादि - केशपर्यन्तं स्तम्भय स्तम्भय खें खीं मारय मारय, परमन्त्र - परयन्त्र - परतन्त्राणि छेदय छेदय, आत्ममन्त्रयन्त्रतन्त्राणि रक्ष रक्ष, ग्रहं निवारय निवारय व्याधिं विनाशय विनाशय, दुःखं हर हर दारिद्रयं निवारय निवारय सर्वमन्त्रस्वरूपिणि, सर्वतन्त्रस्वरूपिणि, सर्व शिल्पप्रयोगस्वरूपिणि, सर्वतत्वस्वरूपिणि, दुष्टग्रह - भूतग्रह - आकाशग्रह - पाषाणग्रह - सर्वचाण्डालग्रह - यक्षकिन्नरकिम्पुरुषग्रह - भूतप्रेतपिशाचानां शाकिनी - डाकिनीग्रहाणां पूर्वदिशां बन्धय बन्धय, वार्तालि मां रक्ष रक्ष, दक्षिणदिशां बन्धय बन्धय, किरातवार्तालि मां रक्ष रक्ष, पश्चिमदिशां बन्धय बन्धय, स्वप्नवार्तालि मां रक्ष रक्ष, उत्तरदिशां बन्धय बन्धय, कालि मां रक्ष रक्ष, ऊर्ध्व दिशं बन्धय बन्धय उग्र कालि मां रक्ष रक्ष, पातालदिशं बन्धय बन्धय, बगलापरमेश्वरि मां रक्ष रक्ष, सकलरोगान् विनाशय विनाशय, सर्वशत्रुपलायनाय पञ्चयोजनमध्ये राजजनस्त्रीवशतां कुरु कुरु, शत्रून् दह दह, पच पच, स्तम्भ्य स्तम्भ्य, मोहय मोहय, आकर्षय आकर्षय, मम शत्रून् उच्चाटय उच्चाटय, हुं फट् स्वाहा ॥

इति बगलामुखी माला मन्त्रः ।