منگل، 7 جنوری، 2025
श्री गोरक्ष फ़टकार मंत्र
بدھ، 1 جنوری، 2025
अथ बगलामुखीमालामन्त्रः
॥ अथ बगलामुखीमालामन्त्रः ॥
॥ ॐ नमो भगवति ॐ नमो वीरप्रतापविजयभगवति बगलामुखि मम सर्वनिन्दकानां सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय ब्राह्मीं मुद्रय मुद्रय बुद्धिं विनाशय विनाशय अपरबुद्धिं कुरु कुरु आत्मविरोधिनां शत्रुणां शिरो - ललाट - मुख - नेत्र - कर्ण नासिकोरू - पद - अणुरेणु - दन्तोष्ठ - जिह्वा - तालु - गुह्य - गुद - कटि - जानु सर्वाङ्गेषु केशादिपादपर्यन्तं पादादि - केशपर्यन्तं स्तम्भय स्तम्भय खें खीं मारय मारय, परमन्त्र - परयन्त्र - परतन्त्राणि छेदय छेदय, आत्ममन्त्रयन्त्रतन्त्राणि रक्ष रक्ष, ग्रहं निवारय निवारय व्याधिं विनाशय विनाशय, दुःखं हर हर दारिद्रयं निवारय निवारय सर्वमन्त्रस्वरूपिणि, सर्वतन्त्रस्वरूपिणि, सर्व शिल्पप्रयोगस्वरूपिणि, सर्वतत्वस्वरूपिणि, दुष्टग्रह - भूतग्रह - आकाशग्रह - पाषाणग्रह - सर्वचाण्डालग्रह - यक्षकिन्नरकिम्पुरुषग्रह - भूतप्रेतपिशाचानां शाकिनी - डाकिनीग्रहाणां पूर्वदिशां बन्धय बन्धय, वार्तालि मां रक्ष रक्ष, दक्षिणदिशां बन्धय बन्धय, किरातवार्तालि मां रक्ष रक्ष, पश्चिमदिशां बन्धय बन्धय, स्वप्नवार्तालि मां रक्ष रक्ष, उत्तरदिशां बन्धय बन्धय, कालि मां रक्ष रक्ष, ऊर्ध्व दिशं बन्धय बन्धय उग्र कालि मां रक्ष रक्ष, पातालदिशं बन्धय बन्धय, बगलापरमेश्वरि मां रक्ष रक्ष, सकलरोगान् विनाशय विनाशय, सर्वशत्रुपलायनाय पञ्चयोजनमध्ये राजजनस्त्रीवशतां कुरु कुरु, शत्रून् दह दह, पच पच, स्तम्भ्य स्तम्भ्य, मोहय मोहय, आकर्षय आकर्षय, मम शत्रून् उच्चाटय उच्चाटय, हुं फट् स्वाहा ॥
इति बगलामुखी माला मन्त्रः ।