Mooth Manter
मूठ मन्त्र
ॐ नमो वीर तो हनुमंत वीर सूर्य का तेज, शत्रु की काया । अदीठ चक्र देवी कालिका चलाया। चल रे बादी न कर। बाद में करि हों तेरे जीव का घात में न उरूं तेरे गुरु पीर सूं। मारूं ताने एक तीर सूं। मेरा मारा ऐसा घूमै । जैसा भुजंग की लहर परै तोहि गिरता मारूं बाण। फेरि चलो तो यही हनुमान की आन शब्द सांचा पिण्ड कांचा फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा
mooth
शनिवार की अर्द्धरात्रि में इस मन्त्र के जप का अनुष्ठान किया जाता है। साधक को श्मशान में जाकर अथवा किसी निर्जन स्थान पर बैठकर एकाग्र भाव से हनुमानजी का ध्यान लगाकर जप करना होता है। इसकी सिद्धि के लिये ९० दिनों तक प्रत्येक दिन १०८ मन्त्र का जप किया जाता है। मन्त्र सिद्ध हो जाने के पश्चात् शनिवार को दाहिने हाथ में उड़द लेकर उपरोक्त मन्त्र से २१ बार अभिमन्त्रित करके दुश्मन के ऊपर मारने से वह पछाड़ खाकर गिर जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है। इसका प्रयोग वर्जित है।
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