پیر، 26 فروری، 2024

मसान मंञ-2

मसान मंञ

श्री नाथ सिद्धों का मसाण मन्त्र

सतनमो आदेश।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी इजुली विजुली वज्जर किवाड़।वज्जर पहिने अपने अंग।विभुति भरी मढ़ी मसान।भूत प्रेत वैताल जिन्न खईस शैतान।उलटी विजुली मारें गदा की चोट।और मैं बचूं काल भैरव की गदा की ओट।लीला घोड़ा लाल लगाम हरी जीन।तोय बैठे मुहम्मद वीर।मुहम्मद वीर मुहम्मद वीर सैय्यद पठान।बैठ गुरु गोरक्ष नाथजी के चरणों में पढ़े कुरआन।विस्मिल्लाह अर रहमान निर् रहीम।अकलाहेल्लाह।इललिल्लाह।नूरे मुहम्मद सललिल्लाह।चल गढ़ ग़जनी के मुहम्मद वीर।तुझपे मेलु वचनों का तीर।मुहम्मद वीर मार मार करता आवें।मुहम्मद वीर बाँध बाँध करता आवें।चौपटा को बाँध।मसाण को बाँध।चिता भूमि को बाँध।मृतक शव की अर्थी को बाँध।मुआ मुर्दा को बाँध।जलती चिता को बाँध।बाँध बाँध ऐसे बाँध।जैसे लंका पति रावण पुत्र मेघनाद ने ब्रम्हास्त्र से बाँधा अंजनी सुत हनुमान।नहीं बाँधो तो तीन लाख तैतीस हजार वीर पैग़म्बरों की लाख लाख आन।काल भैरव काली जटा।कानों कुण्डल हाथ त्रिशुल चिमटा।काल भैरव खेलें रात दिन चौपटा।सवासेर का तोसा खायें।अस्सी कोस का धावा लगाये।बैठ सभा में सुमरुं तोय।सबकी दृष्टि बाँध दे मोंहि।बंगाल खण्ड कामरूदेश की कामाक्षा देवी।जहाँ बसे इस्माईल योगी।इस्माईल योगी ने लगाई एक बाड़ी।बाड़ी को सींचे फूला मालिन।बाड़ी की रखवाली करें गांगली तेलिन।बाड़ी में उपजी फूलों कु क्यारी।क्यारी में से फूल चुनें लोना चमारि।फूल चुन कर के लोना चमारी गई मढ़ी मसाण में।सोते को जगाय लावें।खड़े को चलाय लावें।खाते को बुलाय लावे।बैठे को उठाय लावे।रूठे को मनाय लावें।भागते को पकड़ लाये।काचा को।कलुआ को।भूत को।प्रेत को।जिन्द को।वैताल को।शैतान को।कसाई को।भंगी को।डोम को।मेहतर को।चंडाल को।चमार।मुसलमान को।क्षत्रिय को।ब्राम्हण को।वैश्य को।शूद्र को।पीर फ़क़ीर को।मुल्ला मौलवी को।देव को।दानव को।ब्रम्ह दैत्य को।देवी को।पितृ देव को।नाहर सिंह वीर को।औघड़ वीर को।मनसाराम सेवड़ा को।गंगाराम अघोरी को।बाँध बाँध कर लावें।घट पिण्ड की बहत्तर बला को।किये कराये तेरह सौ तन्त्रों को।लगे लगाये चौदह सौ मन्त्रो को।भेजे भेजाये पन्द्रह सौ यंत्रो को।हाड़ चाम के सात रोगों को।बाई बादी गंठिया रोग को।कनखलाई मुआबस बरीग्यार रोग को।पीलिया रोग को।हाड़ हाड़ से।चाम चाम से निकाल कर।भस्म कर डालो हे वीर बलि हनुमान।अंजनी पुत्र हनुमान।गदा दांये हाथ।मार मार पछाड़ो दुष्टों को पर्वत बायें हाथ।उठो वीर हनुमान।करो हुँकार।राम नाम की झंकार।आते की सीमा बाँध।जाते की सीमा बाँध।अपनी पूंछ से मारो फटकार।फ़टकार से दुश्मन करें है हा हा कार।मेरा हकाला कारज सही नहीं करें ।तो माता सीता माई का कंगन फूट भूमि पे गिरे।माथे का सिन्दूर बहकर कर नीचे गिरे।लिलाट की बिंदी छूट कर नरक कुण्ड में पड़े।मेरा सतगुरु का हकाला चलाया नहीं चलें।तो माता कामाक्षा देवी की जटा उखाड़ खून में स्नान करें।महाकाल की करोड़ करोड़ दुहाई फिरें।चल तो सही।इतना मसाण मन्त्र जाप सम्पूर्ण भया।शून्य की गादी बैठ अवधूत दत्तात्रेय नाथजी ने आपो आप सुनाया।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश।

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