پیر، 26 فروری، 2024

श्री नाथ सिद्धों का कुण्डा मंत्र

श्री नाथ सिद्धों का कुण्डा मंत्र

सतनमो आदेश।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।ॐ गुरुजी कुण्डा कुण्डा कुण्डाला।कुण्डे बैठा गुरु गोरक्षनाथ बाला।कुण्डे बैठी सरिया माई।जिसने पर्दे पीछे जोग की बात छिपाई।प्रह्लाद भक्त को भगवत भक्ति की युक्ति बताई।कुंण्डे बैठे महऋषि अत्रि ध्यानी।सत्ययुग में माता अनुसुइया जिनकी पतिव्रता नारी।कुण्डे बैठे राम लक्ष्मण सीता माई।त्रेतायुग में जिनकी फिरें दुहाई।कुण्डे श्री कृष्ण और राधा रानी।द्वापरयुग में चली उनकी प्रेम योग कहानी।कुण्डे बैठे राजा परिक्षत ज्ञानी।कलियुग में सब राजाओ ने ज्यांकी सत्ता मानी।कुण्डे बैठी सती कुन्ती माई।पांचो पाण्डव लिये बुलाई।पांचों मन में बात विचारी।कुरुक्षेत्र में कौरवों को सेना सहित संहारी।कुण्डे बैठी द्रौपदी रानी।जिसको सूर्य नारायण ने अक्षय कुण्डा दिया भारी।जो कभी न होय खाली।तब दुर्वासा मुनि मन मे बात विचारी।तब रुद्र ऋषि ने पांडवो की परीक्षा ली भारी।तब घोर संकट में रानी कृष्ण को पुकारी।बैठ गरुड़ पर पहुंचे मुरारी।योगमाया से बात जानी सारी।चावल का एक दाना मुँह में चखा सुदर्शन धारी।समस्त ब्रम्हाण्ड के जीव तृप्त हो कर हो गये पेट भारी।उसी समय से दुर्वासा ऋषि ने द्रौपदी के कुण्डे माना जगत उद्धारी।तब कुण्डा जग में लिया बरताय।कहे दत्तात्रेय नाथ जी सुनो गोपीचन्द भृतहरि।ऐसी है कुण्डे की महिमा भारी।काजी वरजा सूरा।ब्रम्हा वरजी गाय।ऊंच नीच को छोड़ कुण्डे में खाये।वो प्राणी लख चौरासी की बेड़ी तोड़ शिव में समाये।जो करें कुण्डे से भ्रांति उसको काल भैरव खा जाये।कुण्डा हिलाया न हलें।कुण्डा चलाया न चलें।कुण्डा रहे अनठौट।कुण्डा चलें काशी कोतवाल काल भैरव की ओट।काल भैरव कालिया वीर।जा बैठा सात समुद्र की तीर।सुमरें सो तु हाजिर आवें।फिर हाजिर नहीं आवें तो माता कालिका का पिया दूध हराम करें।इतना कुण्डा मन्त्र जाप सम्पूर्ण भया।गिरिनार गिरी की शिला पर गादी बैठ अवधूत दत्तात्रेय नाथजी ने राजा गोपीचन्द राजा भृतहरि को पढ़ कथ कर समझाया।श्री नाथजी गुरुजी को आदेश।आदेश।आदेश

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