भैरव पूजन
भैरव पूजन
अष्ट-भैरव-जाप
सत् नमो आदेश, गुरु जी को आदेश! आदेश! ॐ गुरु जी
प्रथमे आदि अलील नाथजी, सुध बुध भैरव बोलिये
इक्कीस ब्रह्माण्ड में बैठकर थापना थापलो, ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर के पिता कहायलो। ब्रह्मा, विष्णु महेश्वर के हाथ से सेवा, पूजा, आरती, धूप, ध्यान कराय लो। लक्ष चौरासी जीया जून को चुग्गा दाना पानी आहार पुराय लो, प्रतिपाल कराय लोजिनकी अर्धागिनी महामनसा देवी, स्थूल दृष्टि, कूर्म वाहन ।। प्रथमे अलील आदि नाथ जी, सुध बुध भैरव, हमारे घट पिण्ड का भय हरणं। दोजख तरणं, नाद-बिन्दु ज्योति कला ले उद्धरणं, धर्म क्षेत्रपाल जी को आदेश। आदेश। द्वितिय ईश्वर महादेव जी भैरव बोलिये। उत्तराखण्ड मानसरोवर बैठ कर थापना थाप लो। तेतीस करोड़ देवी देवों के राजा से सेवा, पूजा, आरती, धूप, ध्यान कराय लो। लक्ष चौरासी जीया जून को चुग्गा, दाना, पानी, आहार पुराय लो, प्रतिपाल कराय लो। जिनकी अर्धागिनी गंगा गोरजां देवी पार्वती जी, वृषभ वाहन ।। दूसरे ईश्वर महोदव जी भैरव बोलिये, हमारे घट पिण्ड का भय हरणं, दोजक तरणम्
नाद-बिन्दु ज्योति कला ले उद्धरणम्, धर्म क्षेत्र पाल जी को आदेश! आदेश!
तीसरे मत्स्येन्द्र नाथ जी भैरव बोलियेराघो मच्छ के घर लिया अवतार, क्षीर सागर बैठकर ले विस्तार। कदली कोट (सिंहल द्वीप) पर बैठकर थापनाथापलो
बावन वीर, चौसठ योगिनी, सवा लक्ष भूतावली के हाथ से सेवा, पूजा, आरती, धूप, ध्यान कराय लो। जिनकी अर्धागिनी महा मंगला पद्मिनी देवी, मच्छ वाहन
तीसरे मत्स्येन्द्र नाथ जी भैरव, हमारे घट पिंड का भय हरणं, दोजख तरणं।
नाद-बिन्दु ज्योति कला ले उद्धरणं, धर्म क्षेत्र पाल जी को आदेश! आदेश
चौथे सिद्ध चौरंगी नाथ जी भैरव बोलिये
राजा शालिवाहन के धर्म पुत्र कहायलो। बिना दोष हाथ पैर कटाय कुयें में गिराय लोबारह वर्ष तक दूध भात का घड़ा भरपूर राख, कुयें के बाहर निकलाय लो।
अठारह भार वनस्पति के राजगुरु कहाय लो।
अठारह भार वनस्पति के हाथ से सेवा, पूजा, आरती, धूप, ध्यान कराय लो। लक्ष चौरासी जीया जून को चुग्गा, दाना, पानी, आहार पुराय लो, प्रतिपाल कराय लो।
जिनकी अर्धांगिनी तारा, त्रिपुरा, तोतला देवी, विश्वकर्मा बल वाहन।।
चौथे सिद्ध चौरंगी नाथ जी भैरव, हमारे घट पिण्ड का भय हरणं, दोजख तरणं। नाद-बिन्दु ज्योति कला ले उद्धरणम् धर्म क्षेत्र पाल जी को आदेश! आदेश!
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