پیر، 4 مارچ، 2024

भैरव ज्योत मन्त्र

भैरव ज्योत मन्त्र

सत नमो आदेश । गुरुजी को आदेश । ॐ गुरुजी। ॐ नाथ निरन्जन भैरु देवा । त्रिदेवजी करते सेवा। सप्त समुन्दर सप्त नीर। तहा बैठा भैरु वीर। मढी मसान में लाग्या ध्यान। मन पवन में हंसा ल्याय। पिण्ड ब्रह्माण्ड अन्त वासा अमरापूर में खेले संगा। जुग जुग जागे जोत जागी लख चौरासी भैरु राखी। कानों कुण्डल भगवा भेष अंग बभूती काले केश। खप्पर में खाय मसान में जाय, कौन भैरव की पूजा मेटे, राज मेटे राज पाट से जाय, प्रजा मेटे दूध पूत से जाय, जोगी मेटे ज्ञान ध्यान से जाय बल भख बला भख पापी पाखण्डी को भख जती सती रख ॐ फट् स्वाहा।

[ मन्त्र सिद्धिः- भैरव मूर्ति को तिल का तेल लेपन करें। सरसों तेल का मिट्टी का दीपक जलावें। पान, नारियल, लौंग, इलायची, लाल पुष्प की माला चढ़ावें और मन्त्र नित्य २१ बार ४१ दिन जपे, मन्त्र सिद्ध होगा सब कार्य सिद्ध होगें। उड़द की दाल के पकोड़े या रोट, काले वस्त्र का भोग लगावें।]

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