गणेश कूंची
श्री नाथ जी के भण्डार में प्रयुक्त किये जाने वाले मंत्र
गणेश कूंची
सत नमो आदेश गुरु जी को आदेश ! आदेश! ॐ गुरु जी! गणेश आया ऋद्धि सिद्धि लाया। ऋद्धि सिद्धि का भरे भण्डार ।। देह कूंची हिंगलाज की ज्ञान कूंची ग्रहों की कंठ कूची गोरक्षनाथ जी की ।। लागी कूंची खुले कपाट अब देखो ब्रह्माण्ड का ठाठ, अक्षय नाथ जी का भरे भण्डार ।। अनन्त अनन्त कोटि सिद्धों में खीर खाण्ड का होवे प्रवान।। लावो भण्डार धरो ध्यान, आगच्छ आगच्छ श्री नाथ जी गुरु जी आदेश! आदेश!
श्री गणेश कूंची मंत्र
ॐ गुरु जी! गणेश आया. ऋद्धि सिद्धि लाया। ऋद्धि सिद्धि का भरो भंडार ।। पीर पैगम्बर औलिया आदेश उतारा शिखर कोट के उपर आप विराजो दर्शन दीजी माँ हिंगलाज 1 अनभे कूंची अनमे ध्यान, लागी कूंची खुला कपाट दुखीया भरे मूंज का ठाठ ।। जपता जाप कटता पाप, अलष निरंजन आपो आप गणेश कूंची मंत्र सम्पूर्ण भया । गादी बैठकर गुरु गोरक्षनाथ जी ने कहा सिद्धो गुरुवरो योगेश्वरो आदेश! आदेश!
कुबेर भण्डार गायत्री
सत नमो आदेश गुरु जी को आदेश ! आदेश! ॐ गुरु जी ! ॐ सोहं आकाश डिब्बी पाताल का ठीया धर्ती का चूल्हा करूं, आकाश का ठीया ।। T नवनाथ चौरासी सिद्धों ने बैठकर भण्डार का मता किया।। चढ़े डिब्बी उतरे ऋद्धि-सिद्धि काली पीली शिर जटा भाई पार्वती का उपदेश, शिव मुख जाये।
हाथ खड़ग तत की माला, जाप जपे श्री सुरिया बाला । ऋद्धि पूरे माई अन्न पूर्णा, घृत पूरे गणेश अलील पूरे ब्रह्मा, माया पूरे महाकाली। हीरा पूरे हिंगलाज नवखण्ड में जोत जगाई।
ऋद्धि लावो भण्डारी नाई। ऋद्धि खुटे सदाशिव की जटा टूटे ।। ऋद्धि खूटे, माता सीता सतवन्ती का सत्य छूटे
ऋद्धि खूटे माता पार्वती का कंगन टूटे। ऋद्धि खुटे मान थान का मान टूटे ।। चन्द सूर्य दो भरें साखी इतना कुबेर गायत्री जाप सम्पूर्ण भया । श्री नाथ जी गुरु जी आदेश! आदेश!
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