हनुमान जी का सिद्ध
॥ जंजीरा ॥
ॐ गुरु जी हनुमन्ता बलवन्ता जेने तात तेल चडन्ता जे बर आवे मार मार करन्ता ते नर पाय पड़न्ता इन्ह कहाँ से आयो ? मेरु पर्वत से आयो कोण लायो ? गौरीपुत्र गणेश लायो कोण के काज ? वीर हनुमान के काज हनुमान बंका मारे डंका गुरु चोट अकणी-साकणी माथे हाँक बगाडे वीर हनुमन्ता कागज-पत्र-शैल-झोल मोल जती-सली की मदद मति संज्ञा माथे फारगती चल-चल कर जहाँ पड़े डेरी पड़े जले थले नवकुल बाँन की आज्ञा फिरे मेरा शब्द फिरे। श्री रामचन्द्र की आज्ञा फिरे सबद सांचा, पण्ड कांचा फुरो मन्त्र ईश्वरी वाचा
इल-इल-महा-इलबोलते की जीभ कील चलते का पाँव कील मारने का हाथ कील देशाते की नजर कील मुए की कबर कील भूल बाँध, पलील बाँध बोधने वाला हनुमान कहाँ से आया? कली कोट से आया सब हमारा विष्ण दस्ता आया जैसा रामचन्द्र का काज सुधार्या तेसा काग हमारा सुधारो मेरा माध्य फिरे श्री रामचन्द्र की आज्ञा फिरे शब्द सांचा, पण्ड कांचा फुरो मन्त्र, ईश्वरी वाचा
उत्तर साण्ड से जोगी आया साथे हनुमान वीर लाया अताल बाँधू, पाताल बाँधू पर मन बांधू चार मन बाँधु चोरा बाँधू, चींटा बाँपू भूत बाँपू, चींटा बाँपू भूल बाँधू, पलीत बापू डाकनी बाँधू, साकणी बाँपू बर मन्सरक बाला रावण बाँधू सबब सांचा, पण्ड कांचा चाली मन्त्र ईश्वरी वांचा
॥ विधि ॥
इस जंजीरे का नित्य हनुमान विषयक नियम मानते हुए जप करने से श्री हनुमान जी साधक की सर्प-प्रकार से रक्षा करते हैं तथा उसकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
کوئی تبصرے نہیں:
ایک تبصرہ شائع کریں