پیر، 15 اپریل، 2024

स्नान मंत्र

गायत्री

गोरखनाथ जी स्नान मंत्र ,अलील गायत्री ,शिव गायत्री 

सत नमो आदेश | आदेश गुरूजी को आदेश |

 ॐ  गुरु जी जल का दान ,जल का स्नान ,जल में ऊना ब्रह्मज्ञान |

 जल ही आये जल ही जाये ,जल ही जल में रह्या समय |

जल ही ऊँचा जल ही  नीचा ,उण पाणी सौ लीजे सींचा |

भुख्याकू  कु अन्न  प्यासे को पाणी ,जहाँ आये गुरु गोरख निर्वाणी |

 पीना पाणी उत्तम जात , जैसा दीवा वैसी बात |

जल में ब्रह्मा जल में शिव जल में शक्ति जल में जीव |

जल में धरती जल में आकाश जल में ज्योति जल में प्रकाश |

जल में निरंजन अवगति रूप ,जगी ज्योत अटल अनूप |

जहा से अपनी शिव गायत्री | तार तार माता शिव गायत्री |

अघोर पिंड पंडता रख ब्रह्मा विष्णु महेश्वर साख |

जपो शिव गायत्री ,सरे प्राणी पावै मोक्ष द्वार |

जोगी जपै जोप पैट ध्यावै राजा जपै राजपद पावै|

 गृही जपै भंडार भर्ती धुधपूत सत धर्म फलती |

जो जग फल मांगू फल होय ,शिव गायत्री माता सोय |

इतना शिव गायत्री मंत्र सम्पूर्ण भया |

गंगा गोदावरी त्र्यम्बक क्षेत्र कौलागढ़ पर्वत अनुपान शिला कल्पवृक्ष 

तहा गादी पर बैठे श्री शम्भू जति गुरु गोरखनाथ ने नौ नाथ चौरासी सिद्ध अनंत कोट सिद्धो को कथा  पढ़ कर सुनाया |

सिद्ध गुरुवरों को आदेश | आदेश | आदेश |

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